हाल
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
हाल ^१ संज्ञा पुं॰ [अ॰]
१. दशा । अवस्था । जैसे,—अब उनका क्या हाल है ? उ॰—(क) विरहिनि तो बेहाल है, को जानत हाला । कबीर श॰, भा॰
३. पृ॰ १७ । (ख) डोला लिए चलो तुम झटपट, छोड़े अटपट चाल रे । सजन भवन पहुँचा दो हमको, मन का हाल बिहाल, रे । —क्वासि, पृ॰ ४७ ।
२. परिस्थिति । माजरा ।
३. संवाद । समाचार । वृत्तांत । जैसे,—बहुत दिनों से उनका कुछ हाल नहीं मिला ।
४. जो बात हुई हो, उसका ठीक ठीक उल्लेख । इतिवृत । ब्योरा । विवरण । कैफियत ।
५. कथा । आख्यान । चरित्र । जैसे,— इस किताब में हातिम का सारा हाल है ।
२. ईश्वर के भक्तों या साधकों की वह अवस्था जिसमें वे अपने को बिलकुल भूलकर ईश्वर के प्रेम में लीन हो जाते हैं । तन्मयता । लीनता । (मुसल॰) । यौ॰—हालचाल=वर्तमान स्थिति या दशा । हालबिहाल, हाल बेहाल=बुरी दशा । दयनीय दशा । हाल समाचार=वर्तमान अवस्था और गतिविधि । मुहा॰—(किसी पर) हाल आना=ईश्वरप्रेम का उद्बेग होना । प्रेम की बेहोशी छाना ।
हाल ^२ वि॰ वर्तमान । चलता । उपस्थित । जैसे,—जमाना हाल । मुहा॰—हाल में=थोड़े ही दिन हुए । जैसे,—वे अभी हाल में आए हैं । हाल का=थोड़े दिनों का । नया । ताजा ।
हाल ^३ अव्य॰
१. इस समय । अभी । उ॰—बात कहिबे में नंदलाल की उताल कहा ? हाल तौ हरिननैनी हँफनि मिटाय लै । — शिव (शब्द॰) ।
२. तुरंत । शीघ्र । उ॰—संग हित हाल करि जाचक निहाल करि नृपता बहाल करि कीरति बिसाल की । —गुलाब (शब्द॰) ।
हाल ^४ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ हालना]
१. हिलने की क्रिया या भाव । कंप ।
२. झटका । झोंका । धक्का । क्रि॰ प्र॰—लगना ।
३. नौका का कर्ण । नाव की गलही (को॰) ।
४. लोहे का बंद जो पहिए के चारों ओर घेरे में चढ़ाया जाता है ।
हाल ^५ संज्ञा पुं॰ [अं॰ हाँल] बहुत बड़ा कमरा । जिसमें बहुत से लोग एकत्र हो सकें । खुब लंबा चौड़ा कमरा ।
हाल ^६ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. खेत जोतने का हल ।
२. बलराम ।
३. शालिवाहन राजा ।
४. एक प्रकार का पक्षी [को॰] ।
हाल ^७ संज्ञा पुं॰ [फा़॰]
१. श्वेत इलायची ।
२. चैन । आराम । शांति ।
३. नाच । नृत्य ।
४. चौगान खेलने की गेंद । कंदुक [को॰] ।