हिय

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

हिय संज्ञा पुं॰ [सं॰ हृदय, प्रा॰ हिअ]

१. हृदय । मन । उ॰—चले भाँट, हिय हरष न थोरा ।—तुलसी (शब्द॰) ।

२. छाती । वक्षस्थल । दे॰'हिया' । मुहा॰—हिय हारना=हिम्मत छोड़ना । साहस न रखना । उ॰— तोहि कारन आवत हिय हारे । कामी काक बलाक बेचारे ।—तुलसी (शब्द॰) ।