अंस

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अंस ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. भाग । अंश । खंड । अवयव । उ॰ —ईश्वर अंस, जीव अविनासी ।—मानस, ७ ।११७ ।

२. स्कंध । कंधा । उ॰— अभयद भुजंदड़ मूल । अंस पीन सानुकूल, कनक मेखला दुकूल दमिनि धरखी री । —सूर॰, १० । १३८४ ।

३. चतुर्भुज का कोई कोण (को॰) ।

४. वेदी के कोईदी स्कंध या कोण (को॰) ।

अंस ^२ पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ अंश]

१. कला । उ॰— तापर उरग ग्रसित तव सोभित पूरन अंस ससी ।— सूर॰, १० । ११९६ ।

२. सूर्य । जैसे 'अंससुता' में ।

३. अपनत्व । संबंध । अधिकार । उ॰— अब इन कृपा करी ब्रज आए जाने आपनो अंस— सूर॰, १० । ३५८७ ।

अंस ^३ पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अंशु] किरण ।—उ॰ सित कमल बंस सी सीतकर अंस सी ।— भिखारी॰ ग्रं, भा॰,

१. पृ॰, २३४ ।

अंस पु ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰ अश्रया अश्रु] आँसू । अश्रु । उ॰— भुज फरकनि तरकनि कंचुकि कच छरि जू रेहे ढुरि अंस । —पोद्दार अभि॰, ग्रं॰, पृ॰ ३८३ ।