अव्याप्ति

विक्षनरी से

हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अव्याप्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] [वि॰ अव्याप्त]

१. व्याप्ति का अभाव ।

२. नव्य न्यायशस्त्रानुसार लक्ष्य पर लक्षण के न घटने का दोष; जैसे-'सब फटे खुरवाले पशुओं के सीगं होती है । इस कथन में अव्याप्ति दोष है, क्योंकि सूअर के खुर फटे होते है, पर उसके सींग नहीं होती ।