उकठना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

उकठना क्रि॰ अ॰ [सं॰ अव = अपदृष्ट, सूखा + - काष्ठ = लकड़ी) । जैसे कठियाना = कड़ा होना] सूखना । सूखकर कड़ा या चीमड़ हो जाना । सूखकर ऐंठ जाना । उ॰—(क) कीन्हेसि कटिन पढ़ाइ कुपाठू । जिमि न नवइ पुनि उकठि कुकाठू । ।—मानस, २ ।२० । (ख) मधुवन तुम कत रहत हरे? कौन काज ठाढ़े रहे बन में काहे न उकठि परे ।—सूर (शब्द॰) ।