उच्चाटन
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
उच्चाटन संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ उच्चाटनीय, उच्चाटित]
१. लगी या सटी हुई चीज को अलग करना । विश्लेषण ।
२. उचाड़ना । उखाड़ना । नोचना ।
३. किसी के चित्त को कहीं से हटाना । तंत्र के ६ अभिचारों या प्रयोगों में से एक । उ॰— मारन मोहन उच्चाटन और स्तंभन इत्यादि सब बल वेदमंत्रों में है ।—कबीर ग्रं॰, पृ॰ ३४ ।
४. चित्त का न लगना । अनमनापन । विरक्ति । उदासीनता ।