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उठाना

विक्षनरी से

क्रिया

उठाना

अनुवाद

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

उठाना क्रि॰ स॰ [हिं॰ उठना का सक॰ रूप]

१. नीचि स्थिति से ऊँची स्थिति में करना । जैसे, लेटे हुए प्राणी को बैठाना या बैठे हुए प्राणी को खड़ा करना । किसी वस्तु को ऐसी स्थिति में लाना जिसमें उसका विस्तार पहले की अपेक्षा अधिक ऊँचाई तक पहुँचे । ऊँचा या खड़ा करना । जैसे—(क) दूहने के लिये—गाय को उठाओ । (ख) कुरसी गिर पड़ी है, उसे उठा दो ।

२. नीचे से ऊपर ले जाना । निम्न आधार से उच्च आधार पर पहुँचना । ऊपर ले जाना । जैसे,—(क) कलम गिर पड़ी है, जरा उठा दो । (ख) वह पत्थर को उठाकर ऊपर ले गया ।

३. धारण करना । कुछ काल तक ऊपर लिए रहना । जैसे,—(क) उतना ही लादो जितना उठा सको । (ख) ये कड़ियाँ पत्थर का बोझ नहीं उठा सकतीं ।

४. स्थान त्याग कराना । हटाना । दूर करना । जसे,—(क) इसको यहाँ से उठा दो । (ख) यहाँ से अपना डेरा डंडा उठाओ ।

५. जगाना ।

६. निकालना । ऊत्पन्न करना । सहसा आरंभ करना । एकबारगी शुरू करना । अचानक उभाड़ना । छेड़ना जैसे—बात उठाना, झगड़ा उठाना । उ॰—जब से हमने यह काम उठाया है, तभी से विघ्न हो रहे हैं ।

७. तैयार करना । उद्यत करना । सन्नद्ध करना । जैसे, इन्हें इस काम के लिये उठाओ तो ठीक हो ।

९. मकान या दीवार आदि तैयार करना । जैसे, घर उठाना, दीवार उठाना ।

१०. नित्य नियमित समय के अनुसार किसी दूकान या कारखाने को बंद करना ।

११. किसी प्रथा का बद करना । जैसे—अंग्रेजों ने यहाँ से सती की रीति उठा दी । १२ खर्च करना । लगाना । व्यय करना । जैसे,—रोज इतना रुपया उठाओगे तो कैसे काम चलेगा ?

१३. किसी वस्तु को भाड़े या किराए पर देना ।

१४. भोग करना । अनुभव करना । भोगना । जैसे—दु:ख उठाना, सुख उठाना । उ॰—इतना कष्ट आप ही के लिये उठाया है ।

१५. शिरोधार्य करना । सादर स्वीकार करना । मानना । उ॰—करै उपाय जो बिरथा जाई । नृप की आज्ञा लियो उठाई । —सूर (शब्द॰) ।

१६. जगाना । जैसे,—उसे सोने दो, मत उठाओ ।

१७. किसी वस्तु को हाथ में लेकर कसम खाना । जैसे, गंगा उठाना, तुलसी उठाना । मुहा॰—उठा धरना = बढ़ जाना । जैसे—उसने तो इस बात में अपने बाप को भी उठा धरा । उठा रखना = छोड़ना, बाकी रखना । कसर छोड़ना । जैसे,—तुमने हमें तंग करने के लिये कोई बात उठा नहीं रखी । उठा ले जाना = (१) किसी वस्तु को इस प्रकार लेकर चल देना कि किसी को पता न लगे । चोरी से वस्तु को उठा ले जाना । चोरी करना । (२) बल- पूर्वक किसी वस्तु को ले जाना । विशेष—कहीं कहीं जिस वस्तु या विषय की सामग्री के साथ इस क्रिया का प्रयोग होता है वहाँ उस वस्तु या विषय के करने का आरंभ सूचित होता है । जैसे—कलम उठाना = लिखने के लिये तैयार होना । डंडा उठाना = मारने के लिये तैयार होना । झोली उठाना = भीख माँगने जाने के लिये तैयार होना, इत्यादि । उ॰—(क) अब बिना तुम्हारे कलम अठाए न बनेगा । (ख) जब हमसे नहीं सहा गया, तब हमने छडी़ उठाई ।

उठाना । उ॰—(क) पुनि सलार कादिम मत माहाँ । खांडै दान उबह नित बाहाँ ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) रघुराज लखे रघुनायक तो महा भीम भयानक दंड गहे । सिर काटन चाहत ज्यौं अबहीं करवाल कराल लिए उबहे ।—रघुराज (शब्द॰) ।

२. पानी फेंकना । उलीचना ।