कंडाल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कंडाल ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कण्डोल] लोहे और पीतल आदि की चद्दर का बना हुआ कूपाकर एक गहरा बरतन जिसका मुँह गोल और चौड़ा होता है । इसमें पानी रखा जाता है ।

कंडाल ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ करनाल; फा॰ करनाय] एक बाजा जो पीतल की नली का बनता है और मुँह में लगाकर बजाया जाता है । नरसिंहा । तुरही । तूरी ।

कंडाल ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ कंड = मूँज] जोलाहों का एक कैंवीनुमा औजार जिसपर ताना फैलाकर पाई करते हैं । विशेष—यह दो सरकंडों का बनता है । दो बराबर बराबर सरकंडों को एक साथ रखकर बीच में बाँध देते हैं । फिर उनको आडे़ कर आमने सामने के भागों को पतली रस्सी से तानते और ऊपर के सिरों पर तागा बाँधकर नीचे के सिरों को जमीन में गाड़ देते हैं । इस तरह कई एक को दूर दूर पर गाड़कर उनके सिरे पर बँधे तागों पर ताना फैलाते हैं ।