कमंद

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कमंद ^१ पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ कबन्ध] बिना सिर का धड । कबंध । उ॰—(क) शीश सिखै साँई लखै, भल बाँका असवार । कमँद कबीरा किलकिया, केता किया शुमार ।—कबिर (शब्द॰) । (ख) जब लग धर पर सीस है, सूर कहावै कोय । माथा टूटै धर लरै, कमँद कहावै सोय ।—कबीर (शब्द॰) ।

कमंद ^२ संज्ञा स्त्री॰ [फा॰]

१. रेशम, सूत या चमडे़ की फंदेदार रस्सी जिसे फेंककर जंगली पशु आदि फँसाएँ जाते हैं । लड़ाई में इससे शत्रु भी बाँधे और खींचे जाते थे । फंदा । पाश ।

२. फंदेदार रस्सी जिसे फेंककर चोर, डाकू आदि ऊँचे मकानों पर चढते हैं । फंदा । क्रि॰ प्र॰—डालना ।—पड़ना ।—फेंकना ।—लगाना ।