करड़

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

करड़ करड़ संज्ञा पुं॰ [अनु॰]

१. किसी वस्तु के बार बार टूटने या चिटकने का शब्द ।

२. दाँतों के नीचे पड़कर बार बार टूटने का शब्द । जैसे,—कुत्ता करड़ करड़ करके हड्डी चबा रहा है ।