किवाड़

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

किवाड़ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कपाट, प्रा॰, कवाड़] [स्त्री किवाड़ी] लकड़ी का पल्ला जो द्बार बंद करने के लिये द्बारा की चौखट में जड़ा जाता है । (एक द्बार में प्राय: दो पल्ले लगए जाते है) । पट । कपाट । उ॰ —(क) गोट गोट सखि सर गोलि बहराय । बजर किवाड़ पहुँ गिलन्हि लगाय ।—विद्यापति, पृ॰, २७९ । (ख) भूत गए रस रीति अनिति किवाड़ न खोले । —कविता को॰, भा॰,

२. पृ॰, १०० । क्रि॰ प्र॰— उड़काना । —खोलना ।—अपकाना । —बंद करना । मुहा॰.— किशाड़ देना लगाना या भिड़ाना= किवाड़ बंद करना । किवाड़ खटखटाना=किवाड़ खुलवाने के लिये उसके कुंड़ी हिलाना या उसपर आघात करना ।