कुरा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कुरा ^१ संज्ञा पुं॰ [अ॰ कुरह्] वह गाँठ जो पुराने जखम में पड़ जाती है । इसमें पीब जमा रहता है और नासूर हो जाता है ।

कुरा ^२ पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ कुरव] कटसरैया । उ॰—कुरे की डाल में अंचल उलझा है ।—लक्ष्मणसिंह (शब्द॰) ।

कुरा ^३ † संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कोइरी] दे॰ 'कोइरी' । उ॰—तब लगि बोधो कुरी चमारा ।—कबीर सा॰, प॰ ९३५ ।