खास

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

खास ^१ वि॰ [अ॰ खास]

१. विशेंष । मुख्य । प्रधान । आम' का उलट । उ॰—सुधि किये बलि जाउ दास आस पूजिहै खास खीन की ।—तुलसी (शब्द॰) । मुहा॰—खासकर = विशेषतः । प्रधानतः = खास खास = चुने चुने । चुनिंदे । अच्छे और प्रतिष्ठित । जैसे,—खास खास लोगों को न्योता दिया गया है ।

२. निज का । आत्मीय । चाहना । प्रिय । जैसे,—यह खास घर के आदमी हैं । उ॰—खास दास रावरो निवास तेरो तासु उर तुलसी सो देव दुखी देखियत भारिये ।—तुलसी (शब्द॰) ।

३. स्वयं । खुद । जैस,—खास राजा के हाथ से इनाम लूँगा ।

४. ठीक । ठेठ । विशुद्ध । जैसे,—यह खास दिल्ली की बोलचाल में लिखा गया है ।

खास ^२ संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ कीमा]

१. गाढ़े कपड़े की वह थैली जिसमें शक्कर भरकर बोरो में भरी जाती है ।

२. कपड़े की वह थैली जिसमें बनिए नमक चीनी आदि रखते हैं ।