चंदेल

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हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

चंदेल संज्ञा पुं॰ [सं॰ चंन्देल ] क्षत्रियों की एक शाखा जो किसी समय कालिंजर और महोबे में राज्य करती थी । परमर्दिदेव या राजा परमाल इसी वंश के थे, जिनके सामंत आल्हा और ऊदल प्रसिद्ध हैं । संस्कृत लेखों सें यह वंश चंद्रात्रेय के नाम से प्रसिद्ध है । विशेष—चंदेलों की उत्पत्ति के विषय में यह कथा प्रसिद्ध है कि काशी के राजा इंद्रजित् के पुरोहित हेमराज की कन्या हेमवती बडी सुंदरी थीं । वह एक कुंड में स्नान कर रही थी । इसी बीच में चंद्रदेव ने उसपर आसक्त होकर उसे आलिंगन किया । हेमवती ने जब बहुत कोप प्रकट किया, तब चंद्रदेव ने कहा 'मुझसे तुम्हें जो पुत्र होगा, वह बडा प्रतापी राजा होगा और उसका राजवंश चलेगा ' । जब उसे कुमारी अवस्था ही में गर्भ रह गया, तब चंद्रमा के आदेशनुसार उसने अपने पुत्र को ले जाकर खजुराहो के राजा को दिया । राजा ने उसका नाम चंद्रवर्मा रखा । कहते हैं कि चंद्रमा ने राजा के लिये एक पारस पत्थर दिया था । पुत्र बडा प्रतापी हुआ । उसने महोबा नगर बसाया और कालिंजर का किला बनवाया । खजुराहो के शिलालेखों सें लिखा है कि मरीचि के पुत्र अत्रि को चंद्रात्रेय नाम वा एक पुत्र था । उसी के नाम पर यह चंद्रात्रेय नाम का वंश चला । सन् ९०० ईसवी से लेकर १५४५ तक इस वंश का प्रबल राज्य बुंदेलखंड और मध्य भारत में रहा । परमर्दिदेव के समय से इस वंश का प्रताप घटने लगा ।