चंद्रकला

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चंद्रकला संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ चन्द्रकला]

१. चंद्रमंडल का सोलहवाँ अंश । वि॰ दे॰ 'कला' ।

२. चँद्रमा की किरण या ज्योति । उ॰—धनिद्वैज की चंद्रकला आबला सो लला की सजीवन मूरि भई है । —सेवक (शब्द॰) ।

३. एक वर्णवृत्त जो आठ सगण और एक गुरु का होता है । इसका दूसरा नाम सुंदरी भा है । यह एक प्रकार का सवैया है । जैसे,—सब सों गहि पाणि मिले रघुनंदन भेंटि कियो सब को बड भागी ।

४. माथे पर पहनने का एक गहना ।

५. छोटा ढोल ।

६. एक प्रकार की मछली जिसे बचा भी कहते हैं ।

७. एक प्रकार की बँगला मिठई ।

८. एक प्रकार का सातताल ताल । विशेष—इसमें तीन गुरु और तीन प्लुत के बाद एक लघु होता है । इसका बोल यह है —तक्किट किट तक्किट किट धिक तां तां तां धिम धिम तां तां तां धिम धिक तां तां तां धिम धा ।

९. नखाघात का चिह्न । नखक्षत (को॰) ।