चुंगल
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
चुंगल संज्ञा पुं॰ [हिं॰ चों+अंगुल या फा॰ चंगाल]
२. चिडियों या जानवरों का पंजा जो कुछ टेढा या झुका हुआ होता है । चुंगल ।
२. मनुष्य के पंजे की वह स्थिति जो उँगलियों को बिना हथेली से लगाए किसी वस्तु को लेने या पकडने में होती है । बटोरा हुआ पंजा । बकोटा । चंगुल । जैसे—चुंगल भर आटा साँई को दो । मुहा॰—चुंगल में फँसना = वश में आना । काबू में होना । पकड में आना ।