चुपचाप
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
चुपचाप बैठो, उठे कि मारा । (ग) तुम यहाँ से हुटे कि चीज गई ।
३. या । अथवा । जैसे,—तुम आम लोगो कि इमली । उ॰—सुंदर बोलत आवत बैन । ना जानौं तिहि समय सखी री, सब तन स्रवन कि नैन ।—सूर॰, १० ।१८०४ ।
चुपचाप क्रि॰ वि॰ [हिं॰ चुप + अनुध्व॰ चाप] दे॰ 'चुप' शब्द का यौगिक चुपचाप ।