छूटना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

छूटना क्रि॰ अ॰ [सं॰ छु /?/ (=बंधनादि काटना)]

१. किसी बँधी, लगी, फँसी, उलझी या पकड़ी हुई वस्तु का अलग होना । लगाव में न रहना । संलग्न न रहना । दूर होना । जैसे, (खूँटे से) घोड़ा छूटना, छीलका छूटना, (चिपका हुआ) टिकट छूटना, गाँठ छूटना, (पकड़ा हुआ) हाथ छूटना, आदि । उ॰—साखि, सरद निसा विधुवदनि बधूटी । ऐसी ललना सलोनी न भई, न है होनी । रतिहु रची विधि जो छोलत छबि छटी ।—तुलसी (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—जाना । मुहा॰—शरीर छूटना=मृत्यु होना । प्राण छूटना=मृत्यु होना । साहस या हिम्मत छूटना=साहस न रहना । छूट पडना=किसी पकड़ी या बँधी हुई वस्तु का अलग होकर नीचे गिर जाना । जैसे,—गिलास हाथ से छूट पड़ा और फूट गया ।

२. किसी बाँधने या पकड़नेवाली वस्तु का ढीला पड़ना या अलग होना । जैसे, रस्सी छूटना, बंधन छूटना ।

३. किसी पुती या लगी हुई वस्तु का अलग होना या दूर होना । जैसे,— रंग छूटना, मैल छूटना । संयो॰ क्रि॰—जाना ।

४. किसी बंधन से मुक्त होना । छुटकारा होना । रिहाई होना । किसी ऐसी स्थिति से दूर होना जिसमें स्वच्छद गति आदि का अवरोध हो । जैसे,—कैद से छूटना । संयो॰ क्रि॰—जाना ।

५. प्रस्थान करना । रवाना होना । चल पड़ना । चला जाना । जैसे,—चोरों को पकड़ने के लिये चारों ओर सिपाही छूटे हैं ।

६. किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान का अपने से दूर पड़ जाता ।