जागरण
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
जागरण संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. निद्रा का अभाव । जागना ।
२. किसी ब्रत, पर्व या धार्मिक उत्सव के उपलक्ष में अथवा इसी प्रकार के किसी और अवसर पर भगवदभजन करते हुए सारी रात जागना । उ॰—वासर ध्यान करत सब बीत्यो । निशि जागरन करन मन भीत्यो । —सूर (शब्द॰) ।