ज्योतिर्लिग

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ज्योतिर्लिग संज्ञा पुं॰ [सं॰ ज्योतिर्लिङ्ग]

१. महादेव । शिव । विशेष—शिवपुराण में लिखा है कि जब विष्णु की नाभि से ब्रह्मा उत्पन्न हुए तब वे घबड़ाकर कमलनाल पर इधर से उधर घूमने लगे । विष्णु ने कहा कि तुम सृष्टि बनाने के लिये उत्पन्न किए गए हो । इसपर ब्रह्मा बहुत क्रुद्ध हुए और कहने लगे कि तुम हो, तुम्हारा भी तो कोई कर्ता है? जब दोनो ं में घोर युद्ध होने लगा तब झगड़ा निपटाने के लिये एक कालाग्नि सद्दश ज्योतिर्लिग उत्पन्न हुआ जिसके चारों ओर भयंकर ज्वाला फैल रही थी । यह ज्योतिर्लिंग आदि, मध्य और अंत रहित था । इस कथा का अभिप्राय ब्रह्मा और विष्णु से शिव को श्रेष्ठ सिद्ध करना ही प्रतीत होता है ।

२. भारतवर्ष में प्रतिष्ठित शिव के प्रधान लिंग जो बारह हैं । वैद्यनाथ माहात्म्य में इन बारह लिंगों के नाम इस प्रकार हैं । सोमनाथ सौराष्ट्र में, मल्लिकार्जुन श्रीशैल में, महाकाल उज्ज- यिनी में, ओंकार नर्मदा तट पर (अमरेशवर में), केदार हिमालय में, भीमशंकर डाकिनी में, विश्वेश्वर काशी में, त्र्यंबक गोमती किनारे, वैद्यनाथ चिताभूमि में, नागेशवर द्वारका में, रामेश्वर सेतुबंध में, घृष्णेशवर शिवालय में ।