झरी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

झरी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ झरना]

१. पानी का झरना । स्रोत । चश्मा ।

२. वह धन जो किसी हाट, बाजार या सट्टी आदि में जाकर सौदा बेचनेवाले छोटे छोटे दुकानदारों विशेषतः खोनचेवालों और कुँजड़ों आदि से प्रतिदिन किराए के रूप में वहाँ के जमींदार या ठीकेदार आदि को मिलता है ।

३. दे॰ 'झड़ी' । उ॰—कुंकुम आगर अरगजा छिरकहिं भरहिं गुलाल अबीर । नभ प्रसून झरि पुरी कोलाहल भइ मनभावति भीर ।—तुलसी (शब्द॰) ।