झेलना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

झेलना क्रि॰ स॰ [क्ष्वेल(= हिलाना डुलाना)]

१. ऊपर लेना । सहारना । सहना । बरदाश्त करना । जैसे, दुःख झेलना, कष्ट झेलना, मुसीबत झेलना । उ॰— टूटे पत अकास को कौन सकत है झेलि ।— कबीर (शब्द॰) ।

२. पानी में तैरने या चलने में हाथ पैर से पानी हटाना । पानी को हाथ पैर से हिलाना । उ॰— (क) कर पग गहि अँगुठा मुख मेलता प्रभु पौढे़ पालने अकेले हरखि हरखि अपने रंग खेलत । शिध सोचन विधि बुद्धि विचारत वट बाढ्यो सागर जल झेलत ।—सूर (शब्द॰) । (ख) बालकेलि को विशद परम सुख सुख समुद्र नृप झेलत ।—सूर (शब्द॰) ।

३. पानी में हिलना । हेलना । जैसे, कमर तक पानी झेलकर नदी पार करना ।

४. ठेलना । ढकेलना । आगे बढ़ाना । आगे चलाना । उ॰— दुहुन की सहज विसात दुहूँ मिलि सतरँज खेलत । उर, रुख, नैन चपल अश्व चतुर बाराबर झेलत ।— हरिदास (शब्द॰) । †

५. पचाना । हजम करना ।

६. सहना । ग्रहण करना । मानना । उ॰— पाँयन आनि परे तो परे रहे केती करी मनुहारि न झेली ।— मतिराम । (शब्द॰) ।