ढाई

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ढाई ^१ वि॰ [सं॰ अद्धंद्वितीय, प्रा॰ अड्ढइय, हिं॰ अढ़ाई] दो और आधा । जो गिनती में दो से आधा अधिक हो । उ॰— रूसी उनकी गुफ्तगू क्या समझते । वह अपनी कहते थे, यह अपने ढाई चावल गला थे ।—फिसना॰, भा॰ ३, पृ॰, २४२ । मुहा॰—ढाई घड़ी की आना = चटपट मौत आना । (स्त्रियों का कोसना) जैसे,— तुझे ढाई घड़ी की आवे । ढाई चुल्लू लहू पीना = मार डालना । कठिन दंड देना (क्रोधवाक्य) । जैसे,—तेरा ढाई चुल्लु लहू पीऊँ तब मुझे कल होगी । ढाई दिन को बादशाहत करना = (१) थोड़े दिनों के लिये खूब ऐश्वर्य भोगना । (२) दूल्हा बनना ।

ढाई ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ ढाना]

१. लड़कों का एक खेल जिसे वे कौड़ियों से खेलते हैं । इसमें कौड़ियों का समूह एक घेरे में रखकर उसे गोलियों से मारते हैं ।

२. वह कौड़ी जो इस खेल में रखी जाती है ।