तारपीन

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

तारपीन संज्ञा पुं॰ [अं॰ टरपेंटाइन] चीड़ के पेड़ से निकाला हुआ तेल । विशेष—चीड़ के पेड़ में जमीन से कोई दो हाथ ऊपर एक खोखला गड्ढा काटकर बना देते हैं और उसे नीचे की ओर कुछ गहरा कर देते हैं । इसी गहरे किए हुए स्थान में चीड़ का पसेव निकलकर गोंद के रूप में इकट्ठा होता है जिसे गंदा- बिरोजा कहते हैं । इस गोंद से भबके द्वारा जो तेल निकाल लिया जाता है, उसे तारपीन का तेल कहते हैं । यह औषध के काम में आता हैं और दर्द के लिये उपकारी है ।