दरबार

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

दरबार संज्ञा पुं॰ [फा़॰] [वि॰ दरबारी]

१. वह स्थान जहाँ राजा या सरदार मुसाहलों के साथ बैठते हैं ।

२. राजसभा । कचहरी । उ॰— करि मज्जर सरयू जल गए भूप दरबार ।—तुलसी (शब्द॰) । यौ॰— दरबारदार (१) दो॰ 'दरबारी' । (२) खुशामदी । चापलूस । दरबारदारी । दरबार आम । दरबार खास । दरबार वृत्ति । मुहा॰— दरबार करना = राजसभा में बैठना । दरबार खुला = दरबार में जाने की आज्ञा मिलना । दरबार बंद होना = दरबार में जाने की रोक होना । दरबार बांधना = घूस बाँधना । रिश्वत मुकर्रर करना । मुँह भरना । दरबार लगाना = राजसभा के सभासदों का इकठ्ठा होना ।

३. महाराज । राजा (रजवाडों में प्रयुक्त) ।

४. अमृतसर में सिक्खों का मंदिर जिसमें 'ग्रंथ साहब' रखा हुआ है ।

५. दरवाजा । द्वारा । उ॰— तब बोलि उठयो दरबार विलासी । द्विजद्वार लसै जमुनातटवासी ।—केशव (शब्द॰) ।

दरबार साहब संज्ञा पुं॰ [फा़॰ दरबार + अ॰ साहब] अमृतसर स्थित सिक्खों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल गुरुद्वारा जहाँ उनका धर्म— ग्रंथ 'गुरुग्रंथ साहब' रखा हुआ है ।