धर्मधक्का संज्ञा पुं॰ [सं॰ धर्म + हिं॰ धक्का] १. वह कष्ट जो धर्म के लिये उठाना पड़े । वह हानि या कठिनाई जो परोपकार आदि के लिय़े सहनी पड़े । २. वह कष्ट या प्रयत्न जिससे निज का कोई लाभ न हो । व्यर्थ का कष्ट ।