धाक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

धाक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वृष ।

२. आहार । भोजन । भात ।

३. अन्न । अनाज ।

४. स्तंभ । खंभा ।

५. आधार ।

६. हौज (को॰) ।

७. ब्रह्मा (को॰) ।

धाक ^२ संज्ञा स्त्री॰

१. रोब । दबदबा । आतंक । उ॰— (क) धरम धुरंधर धरा में धाक धाए ध्रुव ध्रुव सों समुद्धत प्रताप सर्व काल है ।— रघुराज (शब्द॰) । (ख) महाधीर शत्रुसाल नंदराय भाव सिंह तेरी धाक अरिपुर जात भय भोय से ।— मतिराम (शब्द॰) । मुहा॰ — धाक जमना = प्रभाव होना । रोब या दबदबा होना । धाक बाँधना— रोब या दबदबा होना । आतंक छाना । जैसे,— शहर में उसके बोलने की धाक बँध गई । धाक बाँधना = रोज जमाना । जैसे,— ये जहाँ जाते हैं वहाँ धाक बाँध देते हैं । धाक होना = आतंक होना । प्रभाव होना । रोब होना । उ॰— देश देश में हमारी धाक थी ।—चुभते॰ (भू॰), पृ॰ २ ।

२. प्रसिद्धि । शोहरत । शोर । उ॰— सूरदास प्रभु खात ग्वाल सँग ब्रह्मलोक यह धाक ।— सूर (शब्द॰) ।

धाक ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ढाक] ढाक । पलाश ।