पंथी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पंथी संज्ञा पुं॰ [सं॰ पँथिन्]

१. राही । बटोही । पथिक । उ॰— (क) बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे छाँह खजूर । पंथी छाँह न बैठहीं फल लागा तो दूर ।—कबीर (शब्द॰) । (ख) करहिं पयान भोर उठि नितहिं कोस दस जाहिं । पंथी पंथा जो चलहिं ते कित रहैं ओताहिं ।—जायसी (शब्द॰) ।

२. किसी संप्रदाय का अनुयायी । जैसे, कबीरपंथी, दादूपंथी इत्यादि ।