बखान

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बखान संज्ञा पुं॰ [सं॰व्याख्यान, पा॰ बक्खान]

१. वर्णन । कथन । उ॰— बपु जगत काको नाउँ लीजै हो जदु जाति गोत न जानिए । गुणंरूप कछु अनुहार नहिं कहि का वखान बखानिए ।— सूर (शब्द॰) ।

२. प्रशंसा । गुणकीर्तन । स्तुति । बड़ाई । उ॰—(क) तेहि रावन कँह लघु कहसि, नर कर करासि बखान । रे कापि बर्बर खर्व खल अब जाना तब ज्ञान ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) दिन दस आदर पाय के कै करि ले आपु बखान ।— बिहारी (शब्द॰) ।