बवासीर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बवासीर संज्ञा स्त्री॰ [अ॰] एक रोग का नाम जिसमें गुदेंद्रिय में मस्से या उभार उत्पन्न हो जाते हैं । इसमें रोगी को पीड़ा होती है और पाखाने के समय मस्सों से रक्त भी गिरता है । अर्शरोग । विशेष—आयुर्वेद में मनुष्य के मलद्वार में तीन वलियाँ मानी गई हैं । सबके भीतर या ऊपर की ओर जी वली होती है उसे प्रवाहिनी, मध्य में जो होती है उसे सर्जनी कहते है । इनके अतिरिक्त एक वली अंत में या बाहर की और होती है । इन्हीं त्रिवलियों में अर्शरोग होता है । यदि बाहरवाली वली में मस्से हों तो रोग साध्य, मध्यवाली में हो तो कष्टसाध्य और सबसे भीतरवाली वली में हौं तौ असाध्य होता है । अर्शरोग छह प्रकार का कहा गया है—वातज, पित्तज, कफज, सन्निपातज, रक्तज और सहज ।