बूर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बूर संज्ञा पुं॰ [देश॰] [संज्ञा स्त्री॰ बूरि]

१. पश्चिम भारत में होनेवाली एक प्रकार की घास । खोई । उ॰—थल मथ्थइ जल बाहिरी, काँइ लबू की बूरि । मीठा बोला घण सहा, सज्जण मूक्या दूरि ।—ढ़ीला॰, दू॰ ३९० । विशेष— इस घास के खाने से गौओं, भैसों, आदि का दूध और दूसरे पशुओं का बल बहुत बढ़ जाता है । इसमें एक प्रकार की गंध होती है ओर यदि गोएँ आदि इसे अधिक खाती हैं तो उनके दूध में भी वही गंध आ जाती है । यह दो प्रकार की होती है । एक सफेद ओर दूसरी लाल । यह सुखाकर १०-१५ वर्षों तक रखी जा सकती है । †

२. आटे आदि का चोकर । चून की कराई ।