मक्कर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मक्कर † संज्ञा पुं॰ [अ॰ मक्र]

१. छल । कपट । धोखा । उ॰— मक्कर मति करि मानि मन, मेरी मति गति भोरि ।— ब्रज॰ ग्रं॰, पृ॰ ६ ।

२. नखरा । क्रि॰ प्र॰—दिखाना ।—फैलाना ।—बिछाना ।—साधना= मक्कारी करना । बहानेबाजी करना । नकल बनाकर पड़े रहना । उ॰—कासिम ने कहा हुजूर, यह औरत बदमाश है, मक्कर साध रही है ।—पिंजरे॰, पृ॰ ५९ ।