मलंग

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मलंग संज्ञा पुं॰ [फा॰ (मलंग=आपसे बाहर)]

१. एक प्रकार के मुसलमान साधु । ये मदारशाह के अनुयायी होते हैं तथा सिर के बाल बढ़ाते और नंगे सिर तथा नंगे पैर अकेले भीख माँगते फिरते हैं । उ॰—(क) कौड़ा आँसू बूँद, करि साँकर बरुनी सजल । कौने बदन न मूँद, दृग मलंग डारे रहै ।—बिहारी (शब्द॰) । (ख) किधौं मैन मलंग चढ्यो थल तुंग अँजीर अरी न परै झटकी ।—मुकुंदलाल (शब्द॰) ।

२. एक प्रकार का बड़ा बगुला जो स्वच्छ, सफेद रंग का हेता है । यह भारतवर्ष और बरमा में होता है; और प्रायः एकांत में और अकेला रहता है ।