माई

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

माई ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ मातृ]

१. माता । जननी । मा । यौ॰—माई का लाल=(१) उदार चितवाला व्यक्ति । उ॰— क्या । फिर कोई देवनदन जैसा माई का लाल न जनमेगा ।— अयोध्या (शब्द॰) । (२) वीर । शूर । बली । शक्तिवान् । उ॰— (क) क्या एसा कोइ माइ का लाल नही हे जो मुझको इनके हाथों से बचावे ।—अयाध्या (शब्द॰) । (ख) एक बार एक पंजाबा हाजी को बद्दुओं ने घर लिया । उसने अपना कमर से रुपये निकालकर सामने रख दिए और ललकार कर कहा कि कोई माई का लाल हो, तो इसे मेरे सामने से ले जाय ।— सरस्वती (शब्द॰) ।

२. बूढ़ी या बड़ी स्त्री के लिये आदरसूचक शब्द । उ॰— (क) सत्य कहौं मोहि जान दे माई ।— तुलसी (शब्द॰) । (ख) कहाह झूठ फुरि बात बनाई । ते प्रिय तुमहिं करुइ में माई ।— तुलसी (शब्द॰) । (ग) सीय स्वयंवरु माई दाऊ भाई आए देखन ।— तुलसी (शब्द॰) ।

३. महामाया । भगवती । देवी ।

४. शीतला । चेचक । माता । उ॰— हेहुआ के चेहरे पर माई की गोटी के दाग थे ।— नई॰, पृ॰ ३४ ।

माई ^२ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार का वृक्ष जिसका फल माजू से मिलता जुलता होता है और जिसका व्यवहार प्रायः हकीम लोग औषधि के रूप में करते हैं ।

माई लार्ड संज्ञा पुं॰ [अं॰] लाटों तथा हाईकोट के जजों को संबोधन करने का शब्द । जैसे,— माई लार्ड, आपकी इस बात का बड़ा अभिमान है कि अंग्रेजी में आपकी भाँत भारतवर्ष के विषय में शासननीत समझनेवाला और शासन करनेवाला नहीं है ।—बालमुकुंद (शब्द॰) ।