माटी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

माटी पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ मृतिका, हिं॰ मिट्टी]

१. दे॰ 'मिट्टी' ।

२. साल भर की जोताई या उसकी मेहनत । जैसे,— यह बैल चार माटी का चला है ।

३. मृत्त शरीर । शव । लाश । उ॰— (क) कहता सुनता देखता, लेता देता प्रान । दादू सो कतहूँ गया, माटी धरी मसान ।— दादू (शब्द॰) । (ख) मरनो भलो विदेस को जहाँ न अपनो कार्य । माटी खायँ जनावरो महा महोच्छव होय ।— कवीर (शब्द॰) ।

४. शरीर । देह । उ॰— काल आइ दिखराई साँटी । उठि जिउ चला छाँड़ि कै माटी ।—जायसी (शब्द॰) ।

५. पाँच तत्वों के अंतर्गत पृथ्वी नामक तत्व । उ॰— पानी पवन आग अरु माटी । सब की पीठ तोर है साँटी ।—जायसी (शब्द॰) ।

६. धूल । रज । उ॰— (क) गढ़ गिरि भूट भए सब माटी । हस्ति हेरान तहाँ का चाँटी ।— जायसी (शब्द॰) । (स्त्र) महँगि माटी मग हू की मृगमद साथ जू । तुलसी (शब्द॰) । (मुहा॰ फे लिये दे॰ 'मिट्टी') ।