मुलम्मा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मुलम्मा ^१ वि॰ [अ॰]

१. चमकता हुआ ।

२. जिसपर सोना या चाँदी चढ़ाई गई हो । सोना या चाँदी चढ़ा हुआ ।

मुलम्मा ^२ संज्ञा पुं॰

१. वह सोना या चाँदी जो पत्तर के रूप में, पारे या बिजली आदि की सहायता से, अथवा और किसी विशेष प्रक्रिया से किसी धातु पर चढ़ाया जाता है । किसी चीज पर चढ़ाई हुई सोने या चाँदी की पतली तह । गिलट । कलई । झाल । विशेष—साधारणतः मुलम्मा गरम और ठंढा दो प्रकार का होता है । जो मुलम्मा कुछ विशिष्ट क्रियाओं से आग की सहायता से चढ़ाया जाता है, वह गरम कहलाता है, और जो बिजली की बेटरी से अथवा और किसी प्रकार बिना आग की सहायता से चढ़ाया जाता है, वह ठंढा मुलम्मा कहलाता है । ठंढे की अपेक्षा गरम मुलम्मा अधिक स्थायी हाता है । यौ॰—मुलम्मागर । मुलम्मासाज ।

२. किसी पदार्थ, विशेषतः धातु आदि का चाँदी या सोने का दिया हुआ रूप । क्रि॰ प्र॰—करना ।—चढ़ना ।—चढ़ाना ।—होना ।

३. वह बाहरी भड़कीला रूप जिसके अंदर कुछ भी न हो । ऊपरी तड़क भड़क ।