लेव

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

लेव संज्ञा पुं॰ [सं॰ लेप्य]

१. अच्छी तरह घुली हुई मिट्टी या पिसी हुई ओषधियाँ जो किसी स्थान पर लगाई जायँ । लेप ।

२. मिट्टी आदि का लेप जो हंडी या और बर्तनों की पेंदी पर, उन्हें आग पर चढ़ाने से पहले, जलाने से बचाने के लिये, किया जाता है ।

३. दीवार पर लगाने का गिलावा । कहागल । क्रि॰ प्र॰—चढ़ना ।—चढ़ाना ।—देना । मुहा॰—लेव चढ़ना = मोटा होना । मोटाई आना । (व्यंग्य) ।

४. दे॰ 'लेवा' ।