षट्चक्र

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

षट्चक्र ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] हठयोग में माने हुए कुंडलिनी के ऊपर पड़नेवाले छह् चक्र जो मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्ध और आज्ञ चक्र कहे गए हैं ।

षट्चक्र ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ षट् + चक्र (=चक्कर या घेरा)] किसी के विरुद्ध आयोजन । भीतरी चाल । षड्यंत्र । क्रि॰ प्र॰—चलाना ।—खड़ा करना ।—रचना ।