स्मर
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
स्मर संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. कामदेव । मदन । उ॰—(क) मदन मनोभव मन मथन, पंचसर स्मर मार । मीनकेतु कंदर्प हरि व्यापक विरह बिदार ।—अनेकार्थ (शब्द॰) । (ख) स्मर अरचा की हित माल । ताको कहत विसाल ।—गुमान (शब्द॰) ।
२. स्मरण । स्मृति । याद ।
३. (संगीत में) शुद्ध राग का एक भेद ।
४. प्रेम । प्रीति । प्रशाय (को॰) ।
५. ज्यौतिष में लग्न से सप्तम स्थान जो पुरुष के लिये स्त्रीस्थान और स्त्री के लिये पतिस्थान का द्योतक है (को॰) ।