खज
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
खज ^१पु वि॰ [सं॰ खाद्य, प्रा॰ खाज्ज] खाने योग्य । जो खाया जा सके । भक्ष्य । उ॰—चाली हंसन की चलै चरन चोंच करि लाल । लखि परिहै बक तव कला, झखा मारत ततकाल । झखा मारत ततकाल ध्यान मुनिवर सों धारत । बिहरत पंख फुलाय नहीं खज अखज बिचारत । बरनै दीनदयाल बैठि हंसन की आली । मंद मंद पग देत अहो यह छल की चाली ।— दीनदयालु (शब्द॰) । यौ॰—खज अखाज = भक्ष्याभक्ष्य ।
खज ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. मथानी । मंथनचक्र ।
२. मंथन की क्रिया ।
३. कलछुल । दर्वी ।
४. संघर्ष । युद्ध [को॰] ।