विक्षनरी:अर्थव्यवस्था पारिभाषिक शब्दावली

विक्षनरी से

Glossary of Economic development

  • अनौपचारिक/असंगठित क्षेत्र के उद्यम (Informal Sector Enterprises): निजी क्षेत्र के वैसे उद्यम जिनमें मजदूरी पाने वाले श्रमिकों की संख्या सामान्यतः दस से अधिक नहीं होती।
  • अदृश्य मदें (Invisibles): भुगतान संतुलन के चालू खाते की मदें, जिनमें दिखाई देने वाली दृश्य वस्तुएँ नहीं होती। अदृश्य मदें मुख्यतः वे सेवाएँ होती हैं, जैसे पर्यटन, जहाजरानी और वायु परिवहन, बीमा और बैंकिग आदि वित्तीय सेवाएं। इन्हीं में हम विदेशों से उपहारों के आदान-प्रदान, धन का निजी खाते पर अंतरण, सरकारी अनुदान और ब्याज, लाभ तथा लाभांश आदि को भी सम्मिलित करते हैं।
  • अनारक्षण (Dereservation): किसी व्यक्ति या उद्योग ही समूह को उन वस्तुओं के उत्पादन करने की छूट देना, जिन्हें पहले कोई विशेष व्यक्ति या उद्यमी बना सकते थे। भारत में यह मुख्यतः बड़े उद्योगों द्वारा उन वस्तुओं के उत्पादन की अनुमति से जुड़ा है, जिनका उत्पादन पहले केवल लघु उद्योग ही कर सकते थे।
  • अवमूल्यन (Devaluation) विनिमय दर में गिरावट जिसके कारण विदेशी मुद्राओं की इकाइयों के रूप में आंतरिक मुद्रा की कीमत कम हो जाती हैं।
  • अवसर लागत (Opportunity Cost) यह किसी कार्य या मूल्यमान के संदर्भ में परिभाषित की जाती है और अस्वीकार किए गए विकल्प के मूल्य के समान होती है।
  • आकस्मिक दिहाड़ी मजदूर (Casual Wage Labourer): अन्य लोगों के खेतों या उपक्रमों में दैनिक दिहाड़ी के लिए काम करने वाला व्यक्ति।
  • आंतरिक अर्थव्यवस्था का एकीकरण (Integration of Domestic Economy): सरकारी नीतियों द्वारा अन्य देशों के साथ स्वतंत्र व्यापार और निवेश में वृद्धि, जिससे कि आंतरिक अर्थव्यस्था अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ कुशलता एवं पारस्परिक निर्भरता सहित जुड़ सके।
  • आयात प्रतिस्थापान (Import Substitution) : सरकार की आर्थिक विकास की ऐसी नीति जिसमें आयात की जा रही वस्तुओं का स्थान देश की स्वनिर्मित वस्तुएं ले लेती हैं। इस नीति में आयात नियंत्रण, आयात शुल्क तथा अन्य नियंत्रणों को अपनाया जाता है। इस नीति के ध्येय की प्राप्ति के लिए आंतरिक उद्योगों को आत्मनिर्भरता की प्राप्ति तथा रोजगार संवर्धन के लिए प्रोत्सहित किया जाता है।
  • आयात शुल्क (Tariff) आयात पर वह कर जो प्रति इकाई या मूल्यानुसार निर्धारित हो
  • आयात शुल्क बाधाएँ (Tariff Barriers) : सरकार द्वारा आयात पर लगाए गए कर।
  • आयात लाइसेंस (Import Licensing) किसी देश में वस्तु के आयात की सरकार से मिलने वाली अनुमति।
  • आसियान (Association of South East Asian Nations) : दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों का राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संगठन। इसके सदस्य हैं थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, फिलिपीन्स, ब्रूनी, दारूस्सलांम, कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, वियतनाम।
  • उत्पादकता (Productivity) श्रम या पूँजी की दक्षता में वृद्धि से उनकी उत्पादकता में भी वृद्धि होती हैं। यह शब्द प्रायः श्रम के आगत की उत्पादकता के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है।
  • उपनिवेशवाद (Colonialism) युद्ध में विषय या अन्य विधियों का प्रयोग कर किसी दूसरे देश को अपने अधीन बनाना। इस प्रकार, अपने देश की सीमा से बाहर भी अन्य राष्ट्रों के राजनीतिक आर्थिक जीवन पर नियंत्रण कर लिया जाता था। उपनिवेशवाद की सबसे बड़ी विशेषता अधीनस्थ देशों का शोषण रही है।
  • उपभोग समुच्चय (Consumption Basket) किसी परिवार द्वारा उपयुक्त वस्तुओं-सेवाओं का समूह जिसका प्रयोग जनता के उपभोग के स्वरूप का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। सांख्यिकीय संस्थान इसका निर्धारण करते हैं। भारत में राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन उपभोग समुच्चय में 19 वस्तुओं को सम्मिलित करते हैं। वे हैंः (अ) अनाज (ब) दालें और दूध से बनी चीजें (स) खाद्य तेल (द) सब्जियाँ (ध) वस्त्र आदि।
  • उद्यम (Enterprise) किसी व्यक्ति या समूह के स्वामित्व वाला उपक्रम, जो मुख्यतः बिक्री के ध्येय से वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन और वितरण आदि करता है।
  • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency) यह एक सरकारी संस्था है जिसका उद्देश्य ऐसी नीतियों और रण नीतियों का विकास करना है, जिनमें स्व-नियमन तथा बाजार-सिद्धांतों पर बल होता है। यह अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रकों में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देता है और विद्युत के अपव्यय को रोकने के उपाय करता है।
  • एकाधिकारी तथा प्रतिबंधकारी व्यापार अधिनियम (Monopolies and Restrictive Trade Practices Act) इस अधिनियम को व्यापारियों की एकाधिकारी तथा अन्य जनहित बाधक व्यावहारिक प्रविष्टियों का नियमन करने के लिए लागू किया गया था।
  • औपचारिक/संगठित क्षेत्र के प्रतिष्ठान (Formal Sector Establishments) सभी सार्वजनिक तथा निजी प्रतिष्ठान जिनमें दस या अधिक व्यक्ति मजदूरी पर काम कर रहे हों।
  • अंश/हिस्से/इक्विटी (Equities) किसी कंपनी की चुकता पूँजी के समान मूल्यधारी अंश। इनके धारक ही कंपनी के वास्तविक स्वामी माने जाते हैं। इन्हें कंपनी में मताधिकार प्राप्त होता है और ये लाभांश पाने के अधिकारी होते हैं।
  • कर प्रति कर (Cascading Effect) करों के कारण वस्तु की कीमतों में अनुपात से अधिक वृद्धि। ये प्राय अनेक चरणों में लगने वाले करों का परिणाम होता है। उदाहरणार्थः उत्पादन शुल्क की राशि को वस्तु की उत्पादन लागत में जोड़ कर उस पर विक्रय कर लगाना। इस प्रकार उत्पादन शुल्क पर भी विक्रय कर लग जाता है।
  • कृषि का व्यावसायीकरण (Commercialisation of Agriculture): स्व-उपभोग या पारिवारिक उपभोग नहीं, बल्कि मुख्यतः बाशार में बिक्री के व्यावसायीकरण ने कुछ अलग ही रूप धारण कर लिया था। अंग्रेजों ने खाद्य फसलों के स्थान पर नकदी फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए उनको उँचे कीमतें देनी प्रारंभ कर दी। उन्हें नकदी फसलें अपने देश के उद्योगों के लिए कच्चे माल के रूप में चाहिए थीं।
  • गैर-नवीकरणीय संसाधन (Non Renewable Resources) वे प्राकृतिक संसाधन जिनका नवीकरण संभव नहीं। उनका स्टॉक वृहद होता हुआ भी सीमित है। उदाहरण, जीवाश्म उर्जा संसाधन (तेल, कोयला) और लोहा, सीसा, एल्युमीनियम, यूरेनियम खनिज आदि।
  • गैर शुल्क बाधाएँ (Non-Tariff Barriers) सरकार द्वारा आयात शुल्क से अलग लगाए गए आयात प्रतिबंध। इनमें आयात के परिमाण और गुणवत्ता के प्रतिबंध भी सम्मिलित होते हैं।
  • घाटे की वित्त व्यवस्था (Deficit Financing) सरकार के व्यय का राजस्व से अधिक होना।
  • जनांकिकीय संक्रमण (Demographic Transition) जनांकिकीविद् फैंक्र नोटेस्टीन द्वारा 1945 में विकसित अवधारणा। यह आर्थिक विकास से जुड़ी बेहतर जीवन दशाओं के परिणामस्वरूप जन्म और मृत्युदरों में गिरावट की विशेष प्रवृत्तियों की व्याख्या करने वाली अवधारणा है। नोटेस्टीन ने जनांकिकीय संक्रमण की तीन अवस्थाओं का प्रतिपादन किया थाः पूर्व औद्योगिक, विकासशील तथा आधुनिक समाज। बाद में औद्योगीकरण के उपरांत की अवस्था भी इसमें सम्मिलित कर ली गई।
  • जन्म के समय जीवन-प्रत्याशा (Life expectancy at birth) : जन्म के समय विद्यमान आयु-विशेष मृत्यु दर के पैटर्न के जीवन भर स्थिर रहने पर, उस नवजात शिशु के जीवित रहने की प्रत्याशा (वर्षों में)।
  • जी-8 (G-8) आठ देशों का गुटः इसमें कनाडा, प्रफ़ांस, जर्मनी, इटली, जापान ब्रिटेन, उत्तरी आयरलेंड, सं.रा.अमेरिका, और रूसी महासंघ सम्मिलित हैं। यहाँ राज्याध्यक्षों और अंतर्राष्ट्रीय अधिकारियों का वार्षिक आर्थिक-राजनीतिक शिखर सम्मेलन होता है। यहाँ अनेक बैठकें तथा नीतिगत अनुसंधान होते रहते हैं। गुट की अध्यक्षता की अवधि एक वर्ष है जो बारी-बारी से सदस्यों को प्रदान की जाती हैं। वर्ष 2006 का अध्यक्ष रूस है। इस वर्ष का शिखर सम्मेलन रूस के सेंट पीट्र्सबर्ग में होगा।
  • जी-20 (G-20) : विश्व व्यापार संगठन में व्यापार और कृषि से जुड़े प्रश्नों पर ध्यान देने के लिए विकासशील देशों का समूह। इसमें ये देश सम्मिलित हैंः अर्जेटीना, बोलिविया, ब्राजील, चिली, विचाईल, चीन, क्यूवा, मिश्र, ग्वेटेमाला, भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिकों, नाईजीरिया, पाकिस्तान, पराग्वे, फिलीपीन्स, दक्षिण अप्रफ़ीका, थाइलैंड, तंजानिया, वेनेजुएला और जिम्बाब्वे।
  • नई आर्थिक नीति (New Economic Policy) भारत में वर्ष 1991 से अपनाई जा रही नीतियों के नाम।
  • निर्यात-आयात नीति/व्यापार नीति (Export-Import Policy) सरकार की वे आर्थिक नीतियाँ जो आयात और निर्यात व्यापार को प्रभावित करती हैं।
  • निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठान (Private Sector Establishment) निजी व्यक्तियों/समूहों के स्वामित्व और नियंत्रण वाले प्रतिष्ठान।
  • नवीकरणीय संसाधन (Renewable Resources) वे संसाधन जो विवेकपूर्वक प्रयुक्त होने पर प्राकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से नवीनीकृत होते रहते हैं। जल, वन, पशुधन, मत्स्य आदि एसेे ससं शधन हैं कि यदि इनका अत्यधिक विदाहे न नहीं हो, तो ये निरंतर बने रह सकते हैं।
  • निर्यात शुल्क (Export Duties) किसी देश से वस्तुओं के निर्यात पर लगाया गया कर।
  • निर्यात संवर्धन (Export Promotion) राजकीय और व्यापारिक समर्थन सहित वे सभी नीतियाँ जिन्हें सरकार उच्च आर्थिक संवृद्धि प्राप्त करने और अधिक विदेशी मुद्रा कमाने के ध्येय से अपनाती है। इन नीतियों से निर्यात बाधाओं को दूर किया जाता है।
  • नियोजक रोजगारदाता (Employers) वे स्वनियोजक जो अपना काम स्वयं या कुछ भागीदारों की सहायता से चलाते हैं और प्रायः श्रमिकाें को उस उद्यम के संचालन के लिए काम पर रखते हैं।
  • नियमित वेतन/मजदूरी पानेवाले श्रमिक (Regular Salaried/Wage Employees) अन्य लोगों के खेतों/फर्मांे में काम करने वाले व श्रमिक कर्मचारी जिन्हें नियमित रूप से वेतन या मजदूरी (दिहाड़ी या समय-समय पर नवीनीकृत अनुबंधानुसार नियत भुगतान के रूप में) मिलती है। इनमें सभी पूर्ण और अंशकालिक तथा प्रशिक्षणार्थी कर्मचारी भी सम्मिलित होते हैं।
  • परिमाणात्मक प्रतिबंध (Quantitative Restrictions) आंतरिक उद्योगों के संरक्षण और भुगतान शेष के घाटे को कम करने के लिए देश में आयात होने वाली वस्तुओं की मात्र नियत करना।
  • परिवार (Household) सामान्यतः एक साथ रहने और एक रसोई में भोजन करने वाले व्यक्तियों का समूह। सामान्यतः का अर्थ है कि इनके मेहमान परिवार का अंग नहीं हाेंगे। इसी प्रकार इनमें से यदि कोई अस्थायी रूप से बाहर गया हो, तो उस की परिवार की सदस्यता समाप्त नहीं होगी।
  • पारिवारिक श्रम/श्रमिक परिवार के खेत (Family Labour/Worker) : उद्योग या उद्यम आदि में नकद या वस्तु स्वरूप मजदूरी पाने की इच्छा के बिना काम करने वाला व्यक्ति।
  • पेंशन (Pension) सेवा निवृत्त श्रमिक को मिलने वाली मासिक निर्वाह राशि।
  • प्रतिष्ठान (Establishment) ऐसे उद्यम जिनमें वर्ष की अधिकांश अवधि में परिश्रमिक पाने वाला श्रमिक अवश्य कार्य करता है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment) किसी देश की आंतरिक संरचनाओं, संयत्रें और संस्थाओं में विदेशी परिसंपत्तियों का निवेश। इसमें शेयर बाशार में लगी विदेशी पूँजी शामिल नहीं की जाती। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को शेयर बाजार के माध्यम से स्वदेशी कंपनियों में निवेश से बेहतर माना जाता है। प्रायः यह धारणा रहती है कि शेयर बाशार में लगा धन तो अस्थिर है - जो अल्पकालिक स‘े बाजी के लिए आया है -और कभी भी समाप्त हो सकता है। इसके विपरीत प्रत्यक्ष निवेश चाहे अच्छा हो या बुरा, दोनों ही परिस्थितियों में देश में काम आता ही रहेगा।
  • प्रतिव्यक्ति आय (Per Capita Income) किसी अवधि विशेष में राष्ट्रीय आय और राष्ट्रीय जनसंख्या का अनुपात।
  • प्रवेश अवरोध (Barriers to Entry) वे कारक जो किसी उद्योग में प्रवेश को इच्छुक फर्मों का आगमन कठिन बना देते हैं। ये अवरोध उस उद्योग में लगी पुरानी फर्मों को प्रभावित नहीं करते, केवल नई फर्मों पर ही लागू होते हैं।
  • प्रसव/मातृत्व मृत्यु दर (Maternal Mortality Rate) : यह प्रसव काल में माताओं की मृत्यु और सजीव जन्मों का अनुपात है। कई बार सजीव जन्मों के साथ गर्भपात का भी योग बन जाता है। अनुपात की गणना एक वर्ष की अवधि के लिए की जाती है।
  • बजट घाटा (Budgetary Deficit) सरकार की आय और कर राजस्व द्वारा उसके व्यय का पूरा न हो पाना।
  • बहुपक्षीय व्यापार संधियाँ (Multilateral Trade Agreements) : किसी देश द्वारा दो या अधिक देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान संबंधी व्यापार समझौते।
  • बेहतर अनुपालन (Better Compliance) सामान्य रूप से कर भुगतान आदि के संदर्भ में प्रयुक्त सरकारी अनुदेशों का पालन।
  • ब्रूंटलेंड कमीशन (Brundtland Commission) संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1983 में विश्व की पर्यावरण समस्याओं के अध्ययन के लिए नियुक्त आयोग। इसने एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें ‘धारणीय विकास’ की परिभाषा के बड़े व्यापक रूप से उद्धरण दिए गए।
  • बेरोजगारी (Unemployment) वे सभी व्यक्ति जो काम के अभाव के कारण बेकार बैठे हैं, पर रोजगार कार्यालयों, मध्यस्थों, मित्रें, संबंधियों के माध्यम से अथवा संभावित रोजगार दाताओं को आवेदन दे कर रोजगार के लिए अपनी उपलब्धता सूचित कर रहे हों। इन्हें कार्य की वर्तमान दशाओं और प्रचलित पारिश्रमिक दरों पर काम करने के लिए तत्पर होना चाहिए।
  • भुगतान संतुलन (Balance of Payments) किसी देश के वर्ष भर की अवधि में शेष विश्व से चालू और पूँजीगत खातों पर हुए समस्त लेन-देन का सांख्यिकीय सार। इस खाते में अवधि भर के सभी दाायित्वों और परिसंपत्तियों का ब्यौरा होता है। इसलिए यह सदैव संतुलन में रहता है।
  • भूमि/राजस्व बंदोबस्त (Land/Revenue settlement) : देश के विभिन्न भागों में अग्रेजी शासन की स्थापना के बाद उनके प्रशासन का गठन करने के लिए एक सर्वेक्षण किया गया। सरकार के हित की दृष्टि से प्रत्येक भूखंड मे उगाए जाने वाले राजस्व का निर्धारण करने का निर्णय लिया गया। यह भूखंड चाहे किसी किसान के अधिकार में या महल अथवा ‘राजस्व ग्राम’ या फिर किसी जमींदार के अधिकार में रहा हो। यह अधिकार चाहे स्वामित्वाधिकार रहा हो या फिर कर्षण अधिकार ही हो। इसी अधिकार के आधार पर राजस्वनिर्धारण को भू राजस्व व्यवस्था का बंदोबस्त कहा गया है। भारत में तीन प्रकार की राजस्व व्यवस्थाएँ लागू की गई थीं (क) स्थायी बंदोबस्त या जमींदारी व्यवस्था (ख) किसानों के साथ व्यक्तिगत आधार पर राजस्व निर्धारण रैयतवाड़ी व्यवस्था और (ग) पूरे राजस्व ग्राम से राजस्व व्यवस्था (महलवाड़ी व्यवस्था)।
  • भविष्य निधि (Provident Fund) कर्मचारियों के हितार्थ संचालित कोष- इसमें कर्मचारी और रोजगारदाता दोनों ही अंशदान जमा करते हैं। इसका संचालन सरकार करती है तथा इसकी संचित राशि सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी को दे दी जाती है।
  • मृत्यु दर (Provident Fund) : यह शब्द ‘मृत्यु’ पर ही आधारित है। इसे वर्ष भर में प्रति हजार जनसंख्या में हुई मृत्यु की संख्याओं द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। यह मृत्यु सामान्य हो या रोग आदि के कारण, दोनों ही प्रकारों को गणना में सम्मिलित किया जाता है। यह रुग्णता दर से भिन्न है। रुग्णता दर तो बीमारी के कारण काम न कर पाना दर्शाती है।
  • मुद्रास्फीति (Inflation) : सामान्य कीमत स्तर में निरंतर वृद्धि।
  • योजना आयोग (Planning Commission) भारत सरकार द्वारा गठित एक संगठन। यह देश के सभी संसाधनों के अधिकतम संतुलित और युक्तियुक्त प्रयोग की योजनाएँ बनाने का कार्य करता है। इसे देश के विकास पथ की वरीयताएँ भी निर्धारित करनी होती है।
  • यूरोपीय संघ (European Union) यूरोप महाद्वीप में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सहयोग बढ़ाने के ध्येय से वहाँ के 25 स्वतंत्र देशों द्वारा गठित ‘महासंघ’। इसके सदस्य देश हैं- आस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस, चैक-गणराज्य, हंगरी, आयरलैंड, इटली, लातीविया, लिथुआनिया, लक्सेमवर्ग, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, युनाइटेड-किंगडम, माल्टा, पोलेंड, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया।
  • राज्य विद्युत बोर्ड (State Electricity Boards) ये राज्य प्रशासन के ऐसे अंग हैं जो विद्युत उत्पादन, संवहन और वितरण के कार्य करते हैं।
  • * राष्ट्रीय उत्पाद/आय (National Product/Income):) : किसी देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों और विदेशों से प्राप्त आय का योगफल।
  • रुग्णता (Morbidity) : बीमार पड़ने की प्रवृत्ति। यह अस्थायी अपंगता द्वारा काम को दुष्प्रभावित करती है। निरंतर रुग्णता अंततः मृत्यु का रूप भी धारण कर सकती हैं। हमारे देश में रूग्णता के दो प्रमुख कारण हैं, भीषण श्वास संक्रमण और डायरिया।
  • वहन क्षमता/धारण क्षमता (Carrying Capacity) एक घनत्व विशेष पर जनसंख्या को धारण करने की किसी परिवेश की क्षमता। इसकी अधिक तकनीकी परिभाषा इस प्रकार हैः घनत्व आधारित जनसंख्या का वह अधिकतम आकार, जहाँ पहुँचकर इसकी वृद्धि रुक जाती है। अतः उस अधिक सीमा तक जनसंख्यां में वृद्धि होती रहती है। यदि जनसंख्या धारण क्षमता से अधिक हो जाए तो अपर्याप्त स्थान, खाद्य आदि के कारण निर्वाह से जुड़ी कठिनाईयों के कारण प्रजनन प्रक्रिया बाधित होने लगती है। विभिन्न प्रजातियों की धारण क्षमताएं परिवेशानुसार भिन्न हो सकती हैं। अनेक कारणों से समय के साथ इसमें परिवर्तन भी संभव है। ये कारण हैं, खाद्य सुलभता, पर्यावरण स्थान आदि।
  • व्यापारी बैंक (Merchant Bankers) कंपनियों को सलाह देने, उनके अंश और ये ऋण निर्गमन का प्रबंध करने वाले बैंक, वित्तीय संस्थान या निवेश बैंक।
  • व्यतिक्रम/चूक (Default) नियत तिथि पर ट्टण और ब्याज का भुगतान नहीं कर पाना। ट्टण ये किसी अतंर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान से सरकार द्वारा लिए गए ट्टण भी हो सकते हैं। इस प्रकार ट्टणी की विश्वसनीयता या ‘साख’ पर आँच आती है।
  • वित्तीय संस्थान (Financial Institution) बचतों के संग्रह और प्रयोजन या आबंटन से जुड़े संस्थान। इनमें व्यावसायिक, सहकारी और विकास बैंक तथा निवेश संस्थान सम्मिलित हैं। वित्तीय नीति (थ्पेबंस च्वसपबल) आर्थिक गतिविधियों के नियमन के लिए करों तथा सरकारी व्यय का प्रयोग।
  • विदेशी विनिमय/विदेशी मुद्रा (Foreign Exchange) अन्य देशों की मुद्रा या बाँड या अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों के माध्यम से आया विदेशी निवेश। इस प्रकार के निवेश के साथ किसी फर्म के प्रबंध और नियंत्रण में निवेशक फर्मों/व्यक्तियों का कोई हस्तक्षेप नहीं हो पाता।
  • विदेशी विनिमय मुद्रा बाशार (Foreign Exchange Market) ऐसा बाशार जहाँ आज की नियत दरों पर मुद्राओं की खरीद बिक्री होती है - पर उस खरीदी-बेची गई मात्र का वास्तविक हस्तांतरण भविष्य की किसी नियत तिथि को ही किया जाता है।
  • विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones) ऐसे भौगोलिक क्षेत्र जिनमें विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के ध्येय से देश के सामान्य आर्थिक कानूनों को पूर्णतः लागू नहीं किया जाता। विशेष रूप से बनाए गए आर्थिक क्षेत्रें में स्थापित हो चुके हैं। ये दश्े श हं-ै जनवादी चीन, भारत, जार्डन, पोलैंड, कजाकिस्तान, फिलीपीन्स रूस आदि।
  • विनिवेश (Disinvestment) किसी कंपनी की पूँजी के एक अंश को जान-बूझ कर बेचना। इस प्रकार धन जुटाने के साथ-साथ उस कंपनी की हिस्सेदारी, रचना या प्रबंधन या दोनों, में बदलाव भी किये जा सकते हैं।
  • वैधानिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio) रिजर्व बैंक के आदेशानुसार बैंकों द्वारा कुल जमाओं और सुरक्षित निधियों का तरल रूप में रखा जाने वाला अंश। नकद जमा अनुपात के साथ-साथ इस वैधानिक तरलता अनुपात का अनुपालन करना बैकों के लिए अनिवार्य होता है।
  • सहभागिता (Communes) जन सहभागिता या चीनी भाषा में रोन्मिन गोंगशे। यह चीन में 1958 से 1985 की अवधि में ग्रामीण प्रशासन के तीन स्तरों में से सबसे उच्चतम स्तर था। इस अवधि (1982.85) में इसका स्थान नगर प्रशासन ने ले लिया। विशालतम सामुदायिक इकाइयों (कम्यूनों) का विभाजन कर उन्हें उत्पादन वाहिनियों तथा उत्पाद दलों में पुनर्गठित कर दिया गया। उन जन सहभागिताओं के प्रशासकीय, राजनीतिक और आर्थिक कार्य होते थे।
  • संस्थागत विदेशी निवेशक (Foreign Institutional Investors) : अन्य देशों में आधार वाले बैंक और गैर-बैंक संस्थान। इनमें विदेशी व्यावसायिक बैंक, निवेश बैंक, म्युचुयल फंड, पेंशन कोष जैसी निवेशक संस्थाएँ सम्मिलित होती हैं। (स्पष्टतः ये संस्थाएँ देश की अपनी इस प्रकार की संस्थाओं से अलग होती हैं)। शेयर, बांड आदि में स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से इनके निवेश का देश की आर्थिक व्यापारिक परिस्थितियों पर गहन प्रभाव पड़ता है।
  • सार्क (South Asian Association for Regional Cooperation - SAARC) दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ इस क्षेत्र के आठ देशों का संघ है। ये देश हैंः भारत, भूटान बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और अफगानिस्तान। सार्क दक्षिण एशियाई जनसमुदायों को मैत्री, विश्वास और सूझबूझ के आधार पर मिलजुल कर कार्य करने का एक मंच प्रदान करता है। इसका ध्येय सदस्य देशों में आर्थिक सामाजिक विकास का संवर्धन है।
  • सामाजिक सुरक्षा (Social Security) वृद्ध, अपंगों, असहायों, विधवाओं और बच्चों के हितार्थ स्थापित/संचालित निजी और सार्वजनिक पेंशन संस्थाएँं। इनमें पेंशन, सेवानुदान, भविष्य निधि, मातृत्व लाभ, स्वास्थ्य सेवा आदि सम्मिलित होते हैं।
  • * स्वनियोजित (Self-Employed) अपने खेत/व्यवसाय आदि का स्वतंत्र रूप से संचालन करने वाले व्यक्ति। इनके कुछ सहायक हो सकते हैं। कब, कहाँ उत्पादन या विक्रय करें अथवा कैसे कार्य का संपादन करें, इन बातों के विषय में निर्णय की इन्हें स्वतंत्रता रहती है। इनकी आय मुख्यतः अपने उत्पादन के विक्रय या लाभ पर निर्भर रहती है।
  • स्थिरीकरण उपाय (Stabilisation Measures) भुगतान शेष के उतार-चढ़ाव और उच्च स्फीति दर के नियमन के लिए अपनाए गए वित्तीय, राजकोषीय तथा मौद्रिक नीतिगत उपाय।
  • सेवानुदान (Gratuity) : कर्मचारी के सेवामुक्त होने पर उसे उसकी सेवाओं के लिए नियोत्तफ़ा से मिलने वाली एकमुश्त मानार्थ राशि।
  • स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) : ऐसा शेयर बाशार जहाँ सरकारों और सार्वजनिक कंपनियों की प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय होता है। यहाँ दलालों को कंपनियों के अंशपत्रें तथा अन्य प्रतिभूतियों के व्यापार की सुविधाएँ उपलब्ध रहती है।
  • शहरीकरण (Urbanisation) किसी महानगरीय क्षेत्र का प्रसार, शहरी क्षेत्रें की जनसंख्या या उनके क्षेत्रफल का विस्तार या उनके अनुपात में समयानुसार वृद्धि। इसके प्रतिनिधि-स्वरूप शहरों में बसी जनसंख्या का अनुपात या इस अनुपात की वृद्धि दर का प्रयोग हो सकता है। इन दोनों को ही जनगणना प्रतिशत में व्यक्त किया जा सकता है। परिवर्तन अवधि वार्षिक, दशकीय या फिर कोई अतंवर्ती अवधि हो सकती है।
  • शेयर बाशार (Stock Market) शेयर आदि के व्यापार के लिए संस्थान।
  • शिशु मुत्यु दर (Infant Mortality Rate) एक वर्ष की आयु से पूर्व ही मृत शिशुओं की संख्या तथा उस वर्ष में जन्में शिशुओं की संख्या का अनुपात गुणा 1000।
  • श्रमिक संघ (Trade Union) मजदूरी की दरों, लाभों और कार्य करने की दशाओं को लेकर अपने सदस्यों के हितों के रक्षार्थ मजदूरों द्वारा बनाई गई संस्था।
  • श्रमिक जनसंख्या अनुपात (Infant Mortality Rate) श्रमिकों की कुल संख्या का देश की जनसंख्या में अनुपात। इसे प्रतिशत में अभिव्यक्त किया जाता है।
  • श्रम कानून (Labour Laws) सरकार द्वारा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए बनाए गए नियम।

इन्हें भी देखें[सम्पादन]

बाहरी कड़ियाँ[सम्पादन]