कागज़
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कागज संज्ञा पुं॰ [अ॰ काग़ज़] [वि॰ कागजी]
१. सन, रूई, पटुए, बाँस, लकड़ी आदि को पीसकर या सड़ाकर बनाया हुआ पत्र जिसपर अक्षर लिखे या छापे जाते हैं । यौ॰—कागजपत्र = (१) लिखे हुए कागज । (२) प्रामाणिक लेख; दस्तावेज । मुहा॰—कागज काला करना—व्यर्थ कुछ लिखना । कागज रँगना = कागज पर कुछ लिखना । कागज की नाव = क्षण- भंगुर वस्तु । न टिकनेवाली चीज । कागज की लेखी = ग्रंथों में लिखी बातें जो आँखों से देखी बातों की अपेक्षा कम प्रामाणिक होती है । उ॰—मै कहता हूँ आँखिन देखी, तू कहता कागज की लेखी ।—कबीर श॰, भा॰१, पृ॰ ३५ । कागज दौड़ाना, कागजी घोड़े दौड़ना = खूब लिखापढ़ी करना । खूब चिट्ठीपत्री भेजना । परस्पर खूब पत्र- व्यवहार करना । कागज पर चढ़ाना = कहीं लिख लेना । टाँकना । टीपना ।
२. लिखा हुआ कागज । लेख । प्रामामिक लेख । प्रमाणपत्र । दस्तावेज । जैसे, —जबतक कोई कागज न लाओगे, तुम्हारा दावा ठीक नहींमाना जाएगा । क्रि॰ प्र॰—लिखना ।—लिखवाला ।
३. संवादपत्र । समाचारपत्र । खबर का कागज । अखबार । जैसे—आजकल हम कोई कागज नहीं देखते ।
४. नोट । प्रमिसरी नोट ।—जैसे, —३००००) का तो उनके पास खाली कागज है ।