"मंडप": अवतरणों में अंतर
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मंडप ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मण्डप] ऐसा स्थान जहाँ बहुत से लोग धूप, वर्षा आदि से बचंते हुए बैठ सकें । विश्रामस्थान । घर । जैसे, देदमडप । <br><br>२. बहुत से आदमियों के बैठने योग्य चारों ओर से खुला, पर ऊपर से छाया हुआ स्थान । बारहदरी । विशेष—ऐसा स्थान प्रायः पटे हुए चबूतर के रूप में होता है जिसके ऊपर खभों पर टिकी छत या छाजन होती है । देव- मदिरों के सामने नृत्य, गीत आदि के लिये भी ऐसा स्थान प्रायः होता है । <br><br>३. किसी उत्सव या समागोह के लिये बाँस फूस आदि से छाकर बनाया हुआ स्थान । जैसे, यज्ञमंडप, विवाहमंडप । मुहा॰—मंडप भरना = मंडप की शोभावृदि् करना । उ॰— मिलि विधान मंडप भरिय ।—पृ॰ रा॰, २१ ।९३ । <br><br>४. देवमंदिर के ऊपर का गोल या गावदुम हिस्सा । <br><br>५. चँदोवा । शामियाना । <br><br>६. लतादि से घिरा हुआ स्थान । कुंज । |
मंडप ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मण्डप] ऐसा स्थान जहाँ बहुत से लोग धूप, वर्षा आदि से बचंते हुए बैठ सकें । विश्रामस्थान । घर । जैसे, देदमडप । <br><br>२. बहुत से आदमियों के बैठने योग्य चारों ओर से खुला, पर ऊपर से छाया हुआ स्थान । बारहदरी । विशेष—ऐसा स्थान प्रायः पटे हुए चबूतर के रूप में होता है जिसके ऊपर खभों पर टिकी छत या छाजन होती है । देव- मदिरों के सामने नृत्य, गीत आदि के लिये भी ऐसा स्थान प्रायः होता है जिसे गोपुर कहा जाता है । <br><br>३. किसी उत्सव या समागोह के लिये बाँस फूस आदि से छाकर बनाया हुआ स्थान । जैसे, यज्ञमंडप, विवाहमंडप । मुहा॰—मंडप भरना = मंडप की शोभावृदि् करना । उ॰— मिलि विधान मंडप भरिय ।—पृ॰ रा॰, २१ ।९३ । <br><br>४. देवमंदिर के ऊपर का गोल या गावदुम हिस्सा । <br><br>५. चँदोवा । शामियाना । <br><br>६. लतादि से घिरा हुआ स्थान । कुंज । |
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मंडप वि॰ <br><br>१. माँड़ पीनेवाला । <br><br>२. मक्खन, तक आदि पीनेवाला [को॰] । |
मंडप वि॰ <br><br>१. माँड़ पीनेवाला । <br><br>२. मक्खन, तक आदि पीनेवाला [को॰] । |
२३:३३, १६ दिसम्बर २०२३ का अवतरण
हिन्दी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
मंडप ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मण्डप] ऐसा स्थान जहाँ बहुत से लोग धूप, वर्षा आदि से बचंते हुए बैठ सकें । विश्रामस्थान । घर । जैसे, देदमडप ।
२. बहुत से आदमियों के बैठने योग्य चारों ओर से खुला, पर ऊपर से छाया हुआ स्थान । बारहदरी । विशेष—ऐसा स्थान प्रायः पटे हुए चबूतर के रूप में होता है जिसके ऊपर खभों पर टिकी छत या छाजन होती है । देव- मदिरों के सामने नृत्य, गीत आदि के लिये भी ऐसा स्थान प्रायः होता है जिसे गोपुर कहा जाता है ।
३. किसी उत्सव या समागोह के लिये बाँस फूस आदि से छाकर बनाया हुआ स्थान । जैसे, यज्ञमंडप, विवाहमंडप । मुहा॰—मंडप भरना = मंडप की शोभावृदि् करना । उ॰— मिलि विधान मंडप भरिय ।—पृ॰ रा॰, २१ ।९३ ।
४. देवमंदिर के ऊपर का गोल या गावदुम हिस्सा ।
५. चँदोवा । शामियाना ।
६. लतादि से घिरा हुआ स्थान । कुंज ।
मंडप वि॰
१. माँड़ पीनेवाला ।
२. मक्खन, तक आदि पीनेवाला [को॰] ।