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कृत्या संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] <br><br>१. तंत्र के अनुसार एक |
कृत्या संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] <br><br>१. तंत्र के अनुसार एक देवि, जिसे तांत्रिक लोग अपने अनुष्ठान से उत्पन्न करके किसी शत्रु को विनष्ट करने के लिये भेजते हैं । यह बहुत भयंकर मानी जाती है । इसका वर्णन अथर्ववेद तक में आया है । |
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कृत्या को 64 प्रकार की अलग अलग विधियों से सिद्ध किया जाता है, भगवती कालिका की कृत्या इन में सबसे प्रसिद्ध है |
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और भेरूण्डा तथा धूमा कृत्या अकाट्य कही जाती है भारत वर्ष में इनका साधना प्रशिक्षण विभिन्न तंत्र मठों में दिया जाता है जैसे कालिका मठ <br><br>२. अभिचार । <br><br>३. काम । कर्म (को॰) । <br><br>४. जादू (को॰) । <br><br>५. दुष्टा या कर्कशा स्त्री । यौ॰— कत्यादूषण । |
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[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]] |
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०६:४७, २८ दिसम्बर २०२३ का अवतरण
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
कृत्या संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. तंत्र के अनुसार एक देवि, जिसे तांत्रिक लोग अपने अनुष्ठान से उत्पन्न करके किसी शत्रु को विनष्ट करने के लिये भेजते हैं । यह बहुत भयंकर मानी जाती है । इसका वर्णन अथर्ववेद तक में आया है ।
कृत्या को 64 प्रकार की अलग अलग विधियों से सिद्ध किया जाता है, भगवती कालिका की कृत्या इन में सबसे प्रसिद्ध है
और भेरूण्डा तथा धूमा कृत्या अकाट्य कही जाती है भारत वर्ष में इनका साधना प्रशिक्षण विभिन्न तंत्र मठों में दिया जाता है जैसे कालिका मठ
२. अभिचार ।
३. काम । कर्म (को॰) ।
४. जादू (को॰) ।
५. दुष्टा या कर्कशा स्त्री । यौ॰— कत्यादूषण ।