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आवाज संज्ञा पुं॰[फा॰ आबाज, सं॰, पा॰ आवाज] <br><br>१. शब्द । ध्वनि । नाद । क्रि॰ प्र॰—आना । — करना । — देना । — लगाना । <br><br>२. बोली । वाणी । स्वर । जैसे,— वे गाते हैं, पर उनकी आवाज अच्छी नहीं हैं । <br><br>३. फकीरों या सौदा बेचनेवालों की पुकार । <br><br>४. हल्ला गुल्ला । शोर । मुहा॰—आवाज उठाना = (<br><br>१. ) गाने मों स्वर ऊँचा करना । (२) किसी बात के समर्थन या विरोध में करना । आवाज कसना= (<br><br>१. ) जोर से खींचकर शब्द निकालना । (२) दे॰ 'आवाज कसना' । उ॰— आभी तो आप हमपर आवाज कस रहे थे ।— फिसाना॰; भा॰ <br><br>१. , पृ॰ <br><br>१. आवाज खुलना = (<br><br>१. ) बैठी हुई आवाज का सफ निकलना । जैसे,— तुम्हारा गाला बैठ गया है; इस दवा से आवाज खुल जायगी । (२) अधोवायु का निकलना । आवाज गिरना= स्वर का मंद पड़ना । आवाज देना = जोर से <br><br>१. पुकारना । जैसे, — हमने आवाज दी, पर कोई नहीं बोला । आवाज निकालना=(<br><br>१. ) बोलना (२) चूँ करना । जबान खोलना । जैसे— जो कहते हैं चुपचाप किए चलो, आवाज न निकालना । आवाज पड़ना= आवाज बैठना । आवाज पर लगना = आवाज पहचान कर चलना । आवाज देने पर कोई काम करना । जैसे, — तीतर अपने पालनेवालों की आवाज पर लग जाते हैं । आवाज पर कान रखना = (<br><br>१. ) सुनना । ध्यान देना । आवाज फटना = आवाज भर्राना । आवाज लड़ना शब्दसागर === |
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आवाज संज्ञा पुं॰[फा॰ आबाज, सं॰, पा॰ आवाज] <br><br>१. शब्द । ध्वनि । नाद । क्रि॰ प्र॰—आना । — करना । — देना । — लगाना । <br><br>२. बोली । वाणी । स्वर । जैसे,— वे गाते हैं, पर उनकी आवाज अच्छी नहीं हैं । <br><br>३. फकीरों या सौदा बेचनेवालों की पुकार । <br><br>४. हल्ला गुल्ला । शोर । मुहा॰—आवाज उठाना = (<br><br>१. ) गाने मों स्वर ऊँचा करना । (२) किसी बात के समर्थन या विरोध में करना । आवाज कसना= (<br><br>१. ) जोर से खींचकर शब्द निकालना । (२) दे॰ 'आवाज कसना' । उ॰— आभी तो आप हमपर आवाज कस रहे थे ।— फिसाना॰; भा॰ <br><br>१. , पृ॰ <br><br>१. आवाज खुलना = (<br><br>१. ) बैठी हुई आवाज का सफ निकलना । जैसे,— तुम्हारा गाला बैठ गया है; इस दवा से आवाज खुल जायगी । (२) अधोवायु का निकलना । आवाज गिरना= स्वर का मंद पड़ना । आवाज देना = जोर से <br><br>१. पुकारना । जैसे, — हमने आवाज दी, पर कोई नहीं बोला । आवाज निकालना=(<br><br>१. ) बोलना (२) चूँ करना । जबान खोलना । जैसे— जो कहते हैं चुपचाप किए चलो, आवाज न निकालना । आवाज पड़ना= आवाज बैठना । आवाज पर लगना = आवाज पहचान कर चलना । आवाज देने पर कोई काम करना । जैसे, — तीतर अपने पालनेवालों की आवाज पर लग जाते हैं । आवाज पर कान रखना = (<br><br>१. ) सुनना । ध्यान देना । आवाज फटना = आवाज भर्राना । आवाज लड़ना =(<br><br>१. ) एक के सुर का दूसरे के सुर से मेल खाना । (२) एक की आवाज दूसरे तक पहुँचाना । आवाज बैठना = कफ के कारण स्वर का साफ न निकलना । गला बैठना । जैसे, — उनकी आवाज बैठ गई है, वे गावेंगे क्या ? आवाज भर्राना = दे॰ ' आवाज भारी होना ।' आवाज भारी होना = कफ के कारण कंउ का स्वर विकृत होना । आवाज मारना = जोर से पुकारना । आवाज मारी जाना= स्वर सुरीला न रहना । स्वर का कर्कश होना । जैसे,— आवस्था बढ़ जाने पर आवाज भी मारी जाती है । आवाज में आवाज मिलाना =(<br><br>१. ) स्वर मिलान । (२) हाँ में हाँ मिलाना । दूसरा जो कह रहा है, वही कहना । आवाज लगाना= दे॰ 'आवाज देना' । |
आवाज संज्ञा पुं॰[फा॰ आबाज, सं॰, पा॰ आवाज] <br><br>१. शब्द । ध्वनि । नाद । क्रि॰ प्र॰—आना । — करना । — देना । — लगाना । <br><br>२. बोली । वाणी । स्वर । जैसे,— वे गाते हैं, पर उनकी आवाज अच्छी नहीं हैं । <br><br>३. फकीरों या सौदा बेचनेवालों की पुकार । <br><br>४. हल्ला गुल्ला । शोर । मुहा॰—आवाज उठाना = (<br><br>१. ) गाने मों स्वर ऊँचा करना । (२) किसी बात के समर्थन या विरोध में करना । आवाज कसना= (<br><br>१. ) जोर से खींचकर शब्द निकालना । (२) दे॰ 'आवाज कसना' । उ॰— आभी तो आप हमपर आवाज कस रहे थे ।— फिसाना॰; भा॰ <br><br>१. , पृ॰ <br><br>१. आवाज खुलना = (<br><br>१. ) बैठी हुई आवाज का सफ निकलना । जैसे,— तुम्हारा गाला बैठ गया है; इस दवा से आवाज खुल जायगी । (२) अधोवायु का निकलना । आवाज गिरना= स्वर का मंद पड़ना । आवाज देना = जोर से <br><br>१. पुकारना । जैसे, — हमने आवाज दी, पर कोई नहीं बोला । आवाज निकालना=(<br><br>१. ) बोलना (२) चूँ करना । जबान खोलना । जैसे— जो कहते हैं चुपचाप किए चलो, आवाज न निकालना । आवाज पड़ना= आवाज बैठना । आवाज पर लगना = आवाज पहचान कर चलना । आवाज देने पर कोई काम करना । जैसे, — तीतर अपने पालनेवालों की आवाज पर लग जाते हैं । आवाज पर कान रखना = (<br><br>१. ) सुनना । ध्यान देना । आवाज फटना = आवाज भर्राना । आवाज लड़ना =(<br><br>१. ) एक के सुर का दूसरे के सुर से मेल खाना । (२) एक की आवाज दूसरे तक पहुँचाना । आवाज बैठना = कफ के कारण स्वर का साफ न निकलना । गला बैठना । जैसे, — उनकी आवाज बैठ गई है, वे गावेंगे क्या ? आवाज भर्राना = दे॰ ' आवाज भारी होना ।' आवाज भारी होना = कफ के कारण कंउ का स्वर विकृत होना । आवाज मारना = जोर से पुकारना । आवाज मारी जाना= स्वर सुरीला न रहना । स्वर का कर्कश होना । जैसे,— आवस्था बढ़ जाने पर आवाज भी मारी जाती है । आवाज में आवाज मिलाना =(<br><br>१. ) स्वर मिलान । (२) हाँ में हाँ मिलाना । दूसरा जो कह रहा है, वही कहना । आवाज लगाना= दे॰ 'आवाज देना' । |
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१८:०९, २३ फ़रवरी २०२४ का अवतरण
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
आवाज संज्ञा पुं॰[फा॰ आबाज, सं॰, पा॰ आवाज]
१. शब्द । ध्वनि । नाद । क्रि॰ प्र॰—आना । — करना । — देना । — लगाना ।
२. बोली । वाणी । स्वर । जैसे,— वे गाते हैं, पर उनकी आवाज अच्छी नहीं हैं ।
३. फकीरों या सौदा बेचनेवालों की पुकार ।
४. हल्ला गुल्ला । शोर । मुहा॰—आवाज उठाना = (
१. ) गाने मों स्वर ऊँचा करना । (२) किसी बात के समर्थन या विरोध में करना । आवाज कसना= (
१. ) जोर से खींचकर शब्द निकालना । (२) दे॰ 'आवाज कसना' । उ॰— आभी तो आप हमपर आवाज कस रहे थे ।— फिसाना॰; भा॰
१. , पृ॰
१. आवाज खुलना = (
१. ) बैठी हुई आवाज का सफ निकलना । जैसे,— तुम्हारा गाला बैठ गया है; इस दवा से आवाज खुल जायगी । (२) अधोवायु का निकलना । आवाज गिरना= स्वर का मंद पड़ना । आवाज देना = जोर से
१. पुकारना । जैसे, — हमने आवाज दी, पर कोई नहीं बोला । आवाज निकालना=(
१. ) बोलना (२) चूँ करना । जबान खोलना । जैसे— जो कहते हैं चुपचाप किए चलो, आवाज न निकालना । आवाज पड़ना= आवाज बैठना । आवाज पर लगना = आवाज पहचान कर चलना । आवाज देने पर कोई काम करना । जैसे, — तीतर अपने पालनेवालों की आवाज पर लग जाते हैं । आवाज पर कान रखना = (
१. ) सुनना । ध्यान देना । आवाज फटना = आवाज भर्राना । आवाज लड़ना शब्दसागर ===
आवाज संज्ञा पुं॰[फा॰ आबाज, सं॰, पा॰ आवाज]
१. शब्द । ध्वनि । नाद । क्रि॰ प्र॰—आना । — करना । — देना । — लगाना ।
२. बोली । वाणी । स्वर । जैसे,— वे गाते हैं, पर उनकी आवाज अच्छी नहीं हैं ।
३. फकीरों या सौदा बेचनेवालों की पुकार ।
४. हल्ला गुल्ला । शोर । मुहा॰—आवाज उठाना = (
१. ) गाने मों स्वर ऊँचा करना । (२) किसी बात के समर्थन या विरोध में करना । आवाज कसना= (
१. ) जोर से खींचकर शब्द निकालना । (२) दे॰ 'आवाज कसना' । उ॰— आभी तो आप हमपर आवाज कस रहे थे ।— फिसाना॰; भा॰
१. , पृ॰
१. आवाज खुलना = (
१. ) बैठी हुई आवाज का सफ निकलना । जैसे,— तुम्हारा गाला बैठ गया है; इस दवा से आवाज खुल जायगी । (२) अधोवायु का निकलना । आवाज गिरना= स्वर का मंद पड़ना । आवाज देना = जोर से
१. पुकारना । जैसे, — हमने आवाज दी, पर कोई नहीं बोला । आवाज निकालना=(
१. ) बोलना (२) चूँ करना । जबान खोलना । जैसे— जो कहते हैं चुपचाप किए चलो, आवाज न निकालना । आवाज पड़ना= आवाज बैठना । आवाज पर लगना = आवाज पहचान कर चलना । आवाज देने पर कोई काम करना । जैसे, — तीतर अपने पालनेवालों की आवाज पर लग जाते हैं । आवाज पर कान रखना = (
१. ) सुनना । ध्यान देना । आवाज फटना = आवाज भर्राना । आवाज लड़ना =(
१. ) एक के सुर का दूसरे के सुर से मेल खाना । (२) एक की आवाज दूसरे तक पहुँचाना । आवाज बैठना = कफ के कारण स्वर का साफ न निकलना । गला बैठना । जैसे, — उनकी आवाज बैठ गई है, वे गावेंगे क्या ? आवाज भर्राना = दे॰ ' आवाज भारी होना ।' आवाज भारी होना = कफ के कारण कंउ का स्वर विकृत होना । आवाज मारना = जोर से पुकारना । आवाज मारी जाना= स्वर सुरीला न रहना । स्वर का कर्कश होना । जैसे,— आवस्था बढ़ जाने पर आवाज भी मारी जाती है । आवाज में आवाज मिलाना =(
१. ) स्वर मिलान । (२) हाँ में हाँ मिलाना । दूसरा जो कह रहा है, वही कहना । आवाज लगाना= दे॰ 'आवाज देना' ।