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दिल मे चुभ जाती हे अपनो की बात, वर्ना गैरों की क्या औकात जो आँख में आशु लादे. |
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== प्रकाशितकोशों से अर्थ == |
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=== शब्दसागर === |
=== शब्दसागर === |
००:२७, १३ जुलाई २०२४ का अवतरण
दिल मे चुभ जाती हे अपनो की बात, वर्ना गैरों की क्या औकात जो आँख में आशु लादे.
शब्दसागर
पंक्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ पङि्क्त]
१. ऐसा समूह जिसमें बहुत सी (विशेषतः एक ही या एक ही प्रकार की) वस्तुएँ एक दूसरे के उपरांत एक सीध में हों । श्रेणी । पाँती । कतार । लाइन ।
२. चालीस अक्षरों का एक वैदिक छंद जिसका वर्ण नील, गोत्र भार्गव, देवता वरुण और स्वर पंचम है ।
३. एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में पाँच पाँच अक्षर अर्थात् एक भगण और अंत में दो गुरु होते हैं ।
४. दस की संख्या ।
५. सेना में दस दस योद्धाओं की श्रेणी ।
६. कुलीन ब्राह्मणों की श्रेणी । यौ॰—पंक्तिच्युत । पंक्तिपावन ।
७. भोज में एक साथ बैठकर खानेवालों की श्रेणी । जैसे,— उनके साथ हम एक पंक्ति में नहीं खा सकते । यौ॰—पंक्तिभेद । विशेष—हिंदू आचार के अनुसार पतित आदि के साथ एक पंक्ति में बैठकर भोजन करने का निषेध है ।
८. (जीवों या प्राणियों की) वर्तमान पीढ़ी (को॰) ।
९. पृथ्वी (को॰) ।
१०. प्रसिद्धि (को॰) ।
११. पाक (को॰) ।