"परिभाषा": अवतरणों में अंतर
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किसी शब्द या अन्य प्रतीक के सुब्यवस्थित अर्थ को स्पष्ट करना परिभाषा कहलाती है।परिभाषा किसी शब्द या अन्य प्रतीक की होती है ,वस्तु की नही क्योकि यह जिस अर्थ का स्पष्टीकरण करती है वह केवल प्रतीकों में ही संभव है क्योकि वस्तु का कोई अर्थ नही होता ।इसलिए वस्तु की कोई परिभाषा नही की जा सकती ।प्रतीक शब्द या अन्य किसी रूप में हो सकता है। |
किसी शब्द या अन्य प्रतीक के सुब्यवस्थित अर्थ को स्पष्ट करना परिभाषा कहलाती है।परिभाषा किसी शब्द या अन्य प्रतीक की होती है ,वस्तु की नही क्योकि यह जिस अर्थ का स्पष्टीकरण करती है वह केवल प्रतीकों में ही संभव है क्योकि वस्तु का कोई अर्थ नही होता ।इसलिए वस्तु की कोई परिभाषा नही की जा सकती ।प्रतीक शब्द या अन्य किसी रूप में हो सकता है। |
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=== शब्दसागर === |
=== शब्दसागर === |
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परिभाषा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] <br><br>१. परिष्कृत भाषण । स्पष्ट कथन । संशयरहित कथन या बात । <br><br>२. पदार्थ-विवेचना-युक्त अर्थ- कथन । किसी शब्द का इस प्रकार अर्थ करना जिसमें उसकी विशेषता और व्याप्ति पूर्ण रीति से निश्चित हो जाय । ऐसा अर्थनिरुपण जिसमें |
परिभाषा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] <br><br>१. परिष्कृत भाषण । स्पष्ट कथन । संशयरहित कथन या बात । <br><br>२. पदार्थ-विवेचना-युक्त अर्थ- कथन । किसी शब्द का इस प्रकार अर्थ करना जिसमें उसकी विशेषता और व्याप्ति पूर्ण रीति से निश्चित हो जाय । ऐसा अर्थनिरुपण जिसमें किसीव. फफद, |
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ववववववव ग्रंथकार या वक्ता द्वारा प्रयुक्त किसी विशेष शब्द या वाक्य का ठीक ठीक लक्ष्य प्रकट हो जाय । किसी शब्द के वाक्य का इस रीति से वर्णन जिसमें उसके समझप ठप फफन,फ,नने में किसी प्रकार का भ्रम या संदेह न हो सके । लक्षण । तारीफ । जैसे,—तुम उदारता उदारता तो बीस बार कह गए, पर जबतक तुम अपनी उदारता की परिभाषा न कर दो मैं उससे कुछ भी नहीं समझ सकता । विशेष—परिभाषा संक्षिप्त और अतिव्याप्ति, अव्याप्ति से रहित होनी चाहिए । जिस शब्द की परिभाषा हो वह उसमें न आना चाहिए । जिस परिभाषा में ये दोष हों वह शुद्ध परिभाषा नहीं होगी बल्कि दुष्ट परिभाषा कहलाएगी । |
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[[श्रेणी: हिन्दी-प्रकाशितकोशों से अर्थ-शब्दसागर]] |
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१६:०४, १७ जुलाई २०२४ का अवतरण
प्रकाशितकोशों से अर्थ
किसी शब्द या अन्य प्रतीक के सुब्यवस्थित अर्थ को स्पष्ट करना परिभाषा कहलाती है।परिभाषा किसी शब्द या अन्य प्रतीक की होती है ,वस्तु की नही क्योकि यह जिस अर्थ का स्पष्टीकरण करती है वह केवल प्रतीकों में ही संभव है क्योकि वस्तु का कोई अर्थ नही होता ।इसलिए वस्तु की कोई परिभाषा नही की जा सकती ।प्रतीक शब्द या अन्य किसी रूप में हो सकता है।
शब्दसागर
परिभाषा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. परिष्कृत भाषण । स्पष्ट कथन । संशयरहित कथन या बात ।
२. पदार्थ-विवेचना-युक्त अर्थ- कथन । किसी शब्द का इस प्रकार अर्थ करना जिसमें उसकी विशेषता और व्याप्ति पूर्ण रीति से निश्चित हो जाय । ऐसा अर्थनिरुपण जिसमें किसीव. फफद,
न
ववववववव ग्रंथकार या वक्ता द्वारा प्रयुक्त किसी विशेष शब्द या वाक्य का ठीक ठीक लक्ष्य प्रकट हो जाय । किसी शब्द के वाक्य का इस रीति से वर्णन जिसमें उसके समझप ठप फफन,फ,नने में किसी प्रकार का भ्रम या संदेह न हो सके । लक्षण । तारीफ । जैसे,—तुम उदारता उदारता तो बीस बार कह गए, पर जबतक तुम अपनी उदारता की परिभाषा न कर दो मैं उससे कुछ भी नहीं समझ सकता । विशेष—परिभाषा संक्षिप्त और अतिव्याप्ति, अव्याप्ति से रहित होनी चाहिए । जिस शब्द की परिभाषा हो वह उसमें न आना चाहिए । जिस परिभाषा में ये दोष हों वह शुद्ध परिभाषा नहीं होगी बल्कि दुष्ट परिभाषा कहलाएगी ।