हरफ

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

हरफ ^१ संज्ञा पुं॰ [अ॰ हरफ़, हर्फ़] मनुष्य के मुँह से निकलनेवाली ध्वनियों के संकेत जिनका व्यवहार लिखने में होता है । अक्षर । वर्ण । उ॰—सोहत अलक कपोत पर बढ़ छबि सिंधु अथाह । मनौ पारसी हरफ इक लसत आरसी माह ।—स॰ सप्तक, पृ॰ २४६ ।

२. शब्द । बात (को॰) ।

३. दोष । बुराई । ऐब (को॰) ।

४. व्याकरण में अव्यय । प्रत्यय (को॰) । मुहा॰—किसी पर हरफ आना=दोष लगना । कसूर लगना । जैसे,—तुम बेफिक्र रही, तुम पर जरा भी हरफ न आवेगा । हरफ उठाना=अक्षर पहचानकर पढ़ लेना । जैसे,—अब तो बच्चा हरफ उठा लेता है । हरफ पकड़ना=(१) किसी की त्रुटि पकड़ना । गलती पकड़ना । (२) बोलने में टोकना । हरफ बैठाना=छापे के अक्षरों को क्रम से रखना । टाइप जमाना । हरफ बनाना=(१) सुंदर अक्षर लिखना । (२) अक्षर लिखने का अभ्यास करना । (३) किसी दस्तावेज में जाल के लिये फेरफार करना । किसी पर हरफ लाना=दोष देना । इलजाम लगाना । लांछित करना ।