सामग्री पर जाएँ

अछूत

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अछूत ^१ वि॰ [सं॰ अ = नहीं + छुप्त हुआ; प्रा॰ छुत्त]

१. बिना छुआ हुआ । जो छुआ न गया हो । अस्पृष्ट । उ॰—भीजे हार चीर हिय चोली । रही अछूत कंत नहिं खाली ।—जायसी (शब्द॰) ।

२. जो काम में न लाया गया हो । जो बर्ता त गया हो । नया । ताजा । कोरा । पवित्र । उ॰—अस के अधर अमी भरि राखे । अबहिं अछूत, न काहू चाखे ।—जायसी ग्रं॰, पृ॰४४ ।

३. न छूने योग्य । नीच जाति का । अंत्यज जाति का । अस्पृश्य । जैसे—मेहतर, डोम, चमार, आदि अछूत जातियाँ भी अपना संगठन कर रही है ।—(शब्द॰) ।

अछूत ^२ संज्ञा पुं॰ वह जो छूने योग्य न हो । अछूत या अस्पृश्य जाति का मनुष्य । जैसे—'आर्य समाज ने तीन सौ अछूतों को शुद्व कर अपने में मिला लिया ।'— (शब्द॰) ।