आदि
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]आदि भी ।
३. शंकराचार्य द्धारा प्रतिपादित वेदांत दर्शन । इस मत में 'ब्रह्म्' के अतिरिक्त सभी पदार्थ असत्य है अर्थात् 'ब्रह्म्' सत्य जगन्मिथ्या' के अनुसार 'एकमेवाद्धितीयं ब्रह्म्' अर्थआत् 'ब्रह्मम' ही एक और केवल अद्धैत तत्व सत्य माना गया है और 'ब्रह्मम' सत्-चित्-आनंदस्वरुप । मायावाद, अध्यासवाद, विवर्तवाद, उत्तारमीमांसा, शंकरवेदांत आदि पदों से प्राय: इसी दर्शन का बोध होता है । विशेष—इस सिद्धांत के अनुयायी कहते है कि जैसे रस्सी के स्वरुप को न जानने से सर्प का बोध होता है, वैसे ही ब्रह्मम के रुप को न जानने के कारण अध्यासवश ब्रह्मम ही संसार रुप में वस्तुत: दिखाई देता है । अंत में अज्ञान दुर हो जाने पर सब पदार्थ ब्रह्मममय प्रतीत होता है ।
आदि ^१ वि॰ [सं॰] प्रथम । पहला । शुरू का । आरंभ का । जैसे,— वाल्मीकि आदिकवि माने जाते हैं । उ॰—गाइ गाउँ के वत्सला मेरे आदि सहाई । —सूर॰, १ ।२३८ ।
आदि ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. आरंभ । बुनियाद । मूल कारण । जैसे,— (क) इस झगड़े का आदि यही है । (ख) हमने इस पुस्तक को आदि से अंत तक पढ़ डाला ।
२. परमात्मा । परमेश्वर । उ॰—आदि किएउ आदेश सुत्रहि ते अस्थूल भए ।—जायसी ग्रं॰, पृ॰ ३०८ ।
आदि ^३ अव्य॰ वगैरह । आदिक । उ॰—सिंहसावक ज्यों तजै गृह, इंद्र आदि डरात । सूर॰, १ ।१०६ ।